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Jharkhand Politics: ममता की राजनीति को झारखंड में झटका

Jharkhand Politics भाजपा(BJP) के खिलाफ विकल्प बनने की चाहत में तृणमूल कांग्रेस(Trinamool Congress) अध्यक्ष ममता बनर्जी(Mamata Banerjee) के निशाने पर उनकी पुरानी पार्टी कांग्रेस(Congress) ही आ गई है। ममता ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन(UPA Alliance) पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 03:29 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 03:30 PM (IST)
Jharkhand Politics: ममता की राजनीति को झारखंड में झटका
Jharkhand Politics: ममता की राजनीति को झारखंड में झटका

रांची(प्रदीप सिंह)। Jharkhand Politics: भाजपा(BJP) के खिलाफ विकल्प बनने की चाहत में तृणमूल कांग्रेस(Trinamool Congress) अध्यक्ष ममता बनर्जी(Mamata Banerjee) के निशाने पर उनकी पुरानी पार्टी कांग्रेस(Congress) ही आ गई है। ममता ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन(UPA Alliance) पर ही सवाल खड़ा कर दिया है, लेकिन इसे कांग्रेस के सहयोग से अपने-अपने प्रदेश में सरकार चला रहे क्षेत्रीय दलों ने नकार दिया है। महाराष्ट्र में शिवसेना(Shiv Sena) का रूख जहां ममता बनर्जी की राय से अलग है, वहीं झारखंड में शासन कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी ममता बनर्जी के कांग्रेस को लेकर उठाए गए सवाल पर कहा है कि तृणमूल स्वयं 2009 से यूपीए का अंग नहीं हैं। ऐसे में ममता बनर्जी के वक्तव्य का कोई औचित्य नहीं है। झारखंड मुक्ति मोर्चा(Jharkhand Mukti Morcha) ममता बनर्जी के बयान को अनावश्यक मानता है। महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य(Supriyo Bhattacharya) ने कहा कि यूपीए(UPA) को लेकर सवाल उठाने का कोई औचित्य ही नहीं है।

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झारखंड मुक्ति मोर्चा के तृणमूल कांग्रेस संग रहे हैं बेहतर राजनीतिक ताल्लुकात:

हालांकि, झारखंड मुक्ति मोर्चा के तृणमूल कांग्रेस संग बेहतर राजनीतिक ताल्लुकात रहे हैं। बंगाल विधानसभा(Bengal Legislative Assembly) के चुनाव में झारखंड से सटे जिलों से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जब प्रत्याशियों को उतारने की पहल की तो ममता बनर्जी ने मदद मांगी। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने बंगाल में लगभग एक दर्जन सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रखी थी, लेकिन उन्होंने न सिर्फ निर्णय को टाल दिया, बल्कि आदिवासी बहुत इलाकों में तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार अभियान चलाया। इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा और तृणमूल कांग्रेस को लाभ पहुंचा।

बंधु तिर्की ने भी तृणमूल कांग्रेस का थामा था दामन , लेकिन नहीं चल पाए साथ:

ममता बनर्जी झारखंड में तृणमूल कांग्रेस के विस्तार की कवायद पूर्व में कर चुकी हैं। उन्होंने हाशिये पर चल रहे कुछ राजनीतिक नेताओं के माध्यम से इसकी शुरूआत की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। मुखर आदिवासी नेता बंधु तिर्की(Bandhu Tirkey) ने भी तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा था, लेकिन वे साथ नहीं चल पाए। तिर्की फिलहाल रांची से सटे मांडर विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं और कांग्रेस ने उन्हें झारखंड प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप रखी है।

बताते हैं कि कांग्रेस से नाराज चल रहे कुछ नेताओं पर तृणमूल कांग्रेस की नजर है, लेकिन फिलहाल इस संबंध में कोई बात आगे नहीं बढ़ पाई है। झारखंड के मौजूदा राजनीतिक समीकरण के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस के लिए राज्य की राजनीति में कोई खाली जगह भी नहीं दिखती।


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