मेनहर्ट मामले में ACB पहुंचे सरयू राय, महानिदेशक को 7 पन्नों की शिकायत सौंप जांच की मांग की
Menhart Appointment Scam. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास निशाने पर हैं। निविदा पत्र तैयार करने और प्रकाशित करने से लेकर हर स्तर पर अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। रांची में सीवरेज ड्रेनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने वाली कंपनी मेनहर्ट के कामकाज पर लगातार सवाल उठाकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को घेरने वाले पूर्व मंत्री सरयू राय अब इस मामले को लेकर एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) पहुंच गए हैं। हाल ही में इस घोटाले पर उन्होंने एक पूरी किताब भी लिख डाली है। एसीबी से की गई शिकायत में राय ने कहा है कि डीपीआर तैयार कराने के लिए मेनहर्ट की परामर्शी के तौर पर नियुक्ति करने के पहले से ही अनियमितता की पटकथा लिख ली गई थी।
गड़बड़ी की शुरुआत निविदा प्रपत्र तैयार करने व निविदा प्रकाशित करने से हुई। इसके बाद निविदा निष्पादन की प्रक्रिया में हर स्तर पर इसका प्रभाव रहा। शुरू से अंत तक इस मामले में सरकारी खजाने की लूट हुई। पूर्व मंत्री सह निर्दलीय विधायक सरयू राय ने शुक्रवार को एसीबी के डीजी महानिदेशक) नीरज सिन्हा से मिलकर सात पन्नों में लिखित शिकायत की है। अब एसीबी इस मामले में विधायक सरयू राय की शिकायत की जांच के लिए सरकार से अनुमति मांगेगा। अनुमति मिलने के बाद ही पूरे मामले की जांच हो सकेगी।
खजाने पर बढ़ा बोझ
विधायक सरयू राय ने कहा है कि जांच से यह भी पता चलेगा कि अनियमितता के इस खेल से सरकारी खजाने पर कितना बोझ बढ़ा, अनावश्यक व्यय कितना हुआ और और 15 वर्ष का समय बेकार बीत जाने के कारण परियोजना की लागत कितनी बढ़ी।
अलग कंपनी बनाने की भी हो जांच
सरयू राय ने कहा कि एक और बात सामने आ रही है कि मेनहर्ट के नाम से जो निविदा रांची के सीवरेज ड्रेनेज के डीपीआर के लिए डाली गई, वह असली मेनहर्ट ङ्क्षसगापुर की नहीं है, बल्कि इसके लिए भारत में इस नाम की अलग कंपनी बनाकर निविदा डाली गई। इसकी भी जांच होनी चाहिए। यदि यह सही है तो अत्यंत गंभीर बात है। राय ने डीजी, एसीबी से इस कांड की गहन जांच करने और साजिशकर्ताओं को बेनकाब करने की मांग की है।
सरयू राय के आरोप
- निविदा अनावश्यक रूप से विश्व बैंक के क्वालिटी बेस्ड सिस्टम पर आमंत्रित की गई। ऐसा एक साजिश के तहत हुआ। सीवरेज-ड्रेनेज का निर्माण अत्यंत विशिष्ट श्रेणी की योजना नहीं है। इस सिस्टम में वित्तीय दर में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होती है। केवल उसी निविदादाता का वित्तीय लिफाफा खोला जाता है जो तकनीकी ²ष्टि से सर्वोत्कृष्ट पाया जाता है।
- नियम विरुद्ध निविदा फाइनल करने की कवायद हुई। मंत्री के हस्तक्षेप से निविदा फाइनल हुई, जो अनुचित है।
- विभागीय मंत्री रघुवर दास ने अपने पद का दुरुपयोग किया। ऐसा उन्होंने एक षडयंत्र के तहत मेनहर्ट को नियुक्त करने के लिए किया।
- अवैध रूप से नियुक्ति के बाद कार्य करने के लिए झारखंड सरकार, रांची नगर निगम व मेनहर्ट के बीच जो समझौता हुआ, वह त्रुटिपूर्ण था। इसके कारण मेनहर्ट पूरा भुगतान व काम अधूरा छोड़कर निकल गया।