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झारखंड में वर्दी की गरिमा तार-तार, पुलिस की मानवाधिकार की समझ पर उठे सवाल

Jharkhand Police and Assistant Police Clash जब अपने इन साथियों पर ही पुलिस लाठीचार्ज कर सकती है तो समझा जा सकता है कि पुलिस महकमे का अपने ही तंत्र पर नियंत्रण कमजोर है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 02:34 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 05:29 PM (IST)
झारखंड में वर्दी की गरिमा तार-तार, पुलिस की मानवाधिकार की समझ पर उठे सवाल
झारखंड में वर्दी की गरिमा तार-तार, पुलिस की मानवाधिकार की समझ पर उठे सवाल

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। Jharkhand Police and Assistant Police Clash नौकरी में स्थायीकरण की मांग को लेकर राजधानी में आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले दागे। यह स्थिति शर्मनाक है। पुलिस द्वारा पुलिस की ही भूमिका निभाने वालों पर की गई इस कार्रवाई का संदेश बेहतर नहीं है। इससे एक ओर अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा, जो पहले से ही इन सहायक पुलिसकर्मियों को कम महत्व देते रहे हैं वहीं, जनता में भी सहायक पुलिसकर्मी के तौर पर काम करने वालों के प्रति विश्वास कम होगा।

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भले ही सहायक पुलिसकर्मी अस्थायी हों लेकिन दायित्व तो वे भी कानून व्यवस्था को संभालने का ही निभाते थे। जब अपने इन साथियों पर ही पुलिस लाठीचार्ज कर सकती है तो समझा जा सकता है कि पुलिस महकमे का अपने ही तंत्र पर नियंत्रण कमजोर है। उसे मानवाधिकार की सामान्य समझ तक नहीं है। गौरतलब है कि विगत 12 सितंबर से ही अपनी नौकरी के स्थायीकरण की मांग के लिए 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2500 सहायक पुलिसकर्मी राजधानी के मोरहाबादी मैदान में आंदोलनरत हैं।

राज्य के नक्सल प्रभावित तमाम दुरूह क्षेत्रों में पुलिस के स्थायी जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले इन सहायक पुलिसकर्मियों से मिलने सरकार का कोई शीर्ष प्रतिनिधिमंडल पहुंचा ही नहीं। बस यही बात इन्हें चुभ गई। कभी कानून व्यवस्था संभालने वाले ही राजभवन और मुुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकल पड़े। रास्ते में लगी बैरिकेडिंग के पास रैपिड एक्शन फोर्स और जिला बल के जवानों से बहस हो गई। इससे सहायक पुलिसकर्मी उग्र हो गए और बैरिकेडिंग तोड़ दी। इससे दोनों ओर से संघर्ष शुरू हुआ, जिसकी परिणति लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले चलने के रूप में सामने आई।

बहरहाल, इस घटना से पुलिस की वर्दी की गरिमा तार-तार हो गई। वह भी तब जब राज्य में नई सरकार के गठन के मात्र नौ महीनों में ही राज्य में अपराधी व नक्सली बेलगाम दिख रहे हैं। इस दौरान नक्सली दर्जनों घटनाओं को अंजाम देकर करोड़ों रुपये मूल्य की संपत्ति का नुकसान भी कर चुके है। राज्य में दिनदहाड़े हत्या, दुष्कर्म और अपहरण जैसी वारदातें भी हो रही हैं। ऐसे में अब सरकार और उसके पुलिस विभाग के आलाधिकारियों को इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए।


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