झारखंड में नवंबर में खेती-बारी पर ग्लोबल समिट, बैंकों को कृषि पर फोकस करने की हिदायत
झारखंड के बैंकों का एनपीए सुधरा है। एसएलबीसी की बैठक में विकास आयुक्त को यह जानकारी दी गई है।
राज्य ब्यूरो, रांची। विकास आयुक्त डीके तिवारी ने झारखंड राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) को कृषि व संबद्ध क्षेत्रों पर विशेष फोकस करने की नसीहत दी है। शुक्रवार को रांची में आयोजित एसएलबीसी की 64वीं बैठक में विकास आयुक्तने स्पष्ट कहा कि झारखंड में कभी कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह निर्धारित मानक (बेंच मार्क) 18 फीसद तक नहीं पहुंचा। इस बार भी कुल उपलब्धि 15 फीसद के आसपास ही रही है।
विकास आयुक्त ने कहा कि राज्य सरकार नवंबर माह में कृषि पर ग्लोबल समिट का आयोजन करने जा रही है। सभी बैंक इसकी तैयारी में अभी से जुट जाए। उन्होंने सीडी रेशियो की गिरावट पर भी चिंता जताई। कहा, सीडी रेशियो राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है। कई बैंकों का सीडी रेशियो तो 40 फीसद से भी कम है। जबकि निजी बैंकों का सीडी रेशियो 60 फीसद से अधिक है। बैंकों को इस पर ध्यान देना होगा। विकास आयुक्तने एसएलबीसी बैठक का एजेंडा समय पर न मिलने पर भी नाराजगी जताई। कहा, बैठक का एजेंडा आखिरी समय पर मिलता है जबकि इसे 25 दिन पूर्व जाना चाहिए। विकास आयुक्तने बैंकों से कहा कि उन्हें अपनी बैठक में स्वयं सहायता समूहों को भी बुलाना चाहिए। सुझाव दिया कि राज्य सरकार द्वारा गठित किए गए सखी मंडल को बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट बनाया जाए। उन्होंने ग्राम स्वराज अभियान को सफल बनाने के लिए बैंकों को बधाई दी।
वित्त मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव मदनेश मिश्र ने मुद्रा योजना के तहत दिए जा रहे लोन में और पारदर्शिता बरतने की नसीहत दी। कहा, डाटा तैयार करते समय इस बात का भी जिक्र किया जाए कि इस योजना के तहत कितने नए लोगों को ऋण मिला। नीति आयोग का भी यही सुझाव है। बैठक में अतिथियों का स्वागत एसएलबीसी के महाप्रबंधक सीएस सहाय ने किया।
इस मौके पर ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार, नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह, वित्त सचिव सत्येंद्र सिंह, नाबार्ड के महाप्रबंधक शरद झा, एसबीआइ के महाप्रबंधक एके साहू, सिंडीकेट बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक एसके दास, बैंक ऑफ इंडिया रांची जोनल मैनेजर टी पटनायक, आंध्रा बैंक के एजीएम श्रीनिवास शास्त्री, यूनियन बैंक के जीएम अतुल कुमार, इलाहाबाद बैंक के जीएम एसबी जेना, पीएनबी के डीजीएम प्रवीण कुमार जैन, एसएलबीसी के डीजीएम विसेंट लकड़ा सहित कई बैंकों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
हर साल केवाइसी का क्या औचित्य
ग्रामीण विकास सचिव अविनाश कुमार ने बैंकों द्वारा हर साल मांगें जाने वाले केवाइसी पर सवाल उठाया है। कहा, ऐसा कोई नियम है क्या। केवाइसी का ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा है। कहा, सखी मंडलों के 12500 आवेदन लंबित हैं। यदि आवेदन में कुछ त्रुटि है तो उसे रिजेक्ट करें।
उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में आ रही बैंकिंग संबंधी कठिनाइयों को दूर करने की बात कही। नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह ने आवास योजना से जुड़े आवेदनों को गति देने की बात कही। कहा, बैंकों में 12000 आवेदन पेडिंग हैं। आवास योजना केंद्र की महात्वाकांक्षी योजना है, बैंकों को इसे गति देनी होगी।
सीडी रेशियो में मामूली गिरावट, एनपीए सुधरा
बैंकों के सीडी रेशियो में गत वित्तीय वर्ष के सापेक्ष मामूली गिरावट देखने को मिली। जून-2018 तक झारखंड के बैंकों का समेकित सीडी रेशियो 59.35 फीसद रहा। जबकि गत वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर यह 60.31 फीसद था। हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि से तुलना करें तो यह बेहतर रहा। जून-2107 में बैंकों का सीडी रेशियो 57.04 फीसद रहा था। पिछले तिमाही में ग्रास एनपीए में भी मामूली कमी दर्ज की गई। बैंकों का ग्रास एनपीए 5.87 फीसद रहा, जबकि पिछले वर्ष समान अवधि में यह 6.33 फीसद था।