झारखंड: अब झामुमो ने तरेरीं आंखें, मंझधार में फंसी महागठबंधन की नैया
Shibu Soren with Hemant Soren.पिता शिबू सोरेन ने जहां कोल्हान की एक सीट से लोस चुनाव लड़ने का दावा किया वहीं बेटे हेमंत ने कहा कि वे सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम हैं।
रांची, [जागरण स्पेशल]। झारखंड में महागठबंधन की नैया मंझधार में फंसती दिख रही है। वजह कोई एक नहीं अनेक है। जहां कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में आकर अपना दम-खम दिखाने को आतुर दिख रही है, वहीं उसके सहयोगी दल झामुमो, झाविमो, राजद और वामपंथी पार्टियां भी अधिक से अधिक सीटों की दावेदारी ठोक कर उतावली नजर आ रही है। वर्तमान माहौल में जब वर्षों बाद कांग्रेस ने अपने अध्यक्ष राहुल गांधी की रांची में रैली कर क्षेत्रीय पार्टियों पर अपनी सर्वोच्चता थोपने या फिर बढ़त बनाने की पुरजोर कोशिश की है, वहीं दूसरी तरफ गोड्डा सीट झाविमो के खाते में जाता हुआ देखकर पार्टी के अंदर ही भूचाल मचा हुआ है।
बदले-बदले से हैं दिशोम गुरु के सुर
झारखंड नामधारी सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा की बात करें तो इसके अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन उर्फ दिशोम गुरु ने कोल्हान की एक लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर कांग्रेस का संताप और बढ़ा दिया है। बीते दिन उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जमशेदपुर या सिंहभूम में कोई एक सीट पर झामुमो निश्चित ही चुनाव लड़ेगा। हालांकि गुरुजी का कहना है कि विपक्षी वोटों का बिखराव रोकने के लिए महागठबंधन की कवायद आखिरी चरण में है। जिस पर अभी अंतिम फैसला एक-दो दिनों में होने की उम्मीद है। इस बार लोकसभा चुनाव में झामुमो अपना पूरा दमखम दिखाएगी।
हेमंत सोरेन के भी तल्ख हुए तेवर
महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर लगातार जिच बनने को लेकर झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के तेवर भी तल्ख नजर आ रहे हैं। बीते दिन उन्होंने महागठबंधन से अब तक दूर रखी गई वामपंथी पार्टियों के पक्ष में आवाज बुलंद करते हुए कहा कि वोटों का बिखराव रोकने के लिए लोस चुनाव में वामदल को भी उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। गोड्डा लोकसभा सीट को लेकर महागठबंधन में मचे घमासान पर हेमंत ने कड़े लहजे में कहा कि गठबंधन हमारी मजबूरी नहीं है।
इसके जरिये भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव रोकने की हम मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। उम्मीद है कि यह कोशिश कामयाब होगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो झामुमो अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़कर भाजपा को जवाब देने में सक्षम है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि गोड्डा एवं वामदल को सीटें देने को लेकर जो जिच है, उसके लिए झामुमो जिम्मेदार नहीं है। झामुमो न तो गोड्डा और न ही वामदल की सीट पर दावा कर रहा है।
गोड्डा, कोडरमा, हजारीबाग और जमशेदपुर में फंसा है पेच
मालूम हो झारखंड में महागठबंधन को लेकर रांची से दिल्ली तक कई दौर की बातचीत कांग्रेस, झामुमो, झाविमो के नेताओं के बीच हाे चुकी है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार इसके लिए लगातार हाई कमान के संपर्क में हैं। हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी की दिल्ली में राहुल गांधी से सीट शेयरिंग पर चर्चा भी हुई, लेकिन अब तक बात नहीं बन सकी है। अभी यहां गोड्डा सीट को लेकर कांग्रेस एवं झाविमो के बीच तथा कोडरमा सीट को लेकर झाविमो एवं माले के बीच जिच कायम है। हजारीबाग सीट को लेकर कांग्रेस एवं भाकपा के बीच भी गहरा विवाद है।
नहीं बनी विपक्ष की कारगर रणनीति
कहा जा रहा है कि भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्ष की अब तक कोई कारगर रणनीति नहीं बनने से महागठबंधन का स्वरूप तय नहीं हो पा रहा है। जबकि देश के स्तर पर एकीकृत विपक्ष का ताना-बाना लगभग बुना चुका है। चुनावी विश्लेषक बताते हैं कि पूर्व रेल मंत्री और चारा घोटाले के चार मामलों के सजायाफ्ता रांची के रिम्स में इलाज करा रहे लालू प्रसाद यादव की अनदेखी भी महागठबंधन को भारी पड़ सकती है। हालांकि कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह का दावा है कि लालू प्रसाद यादव से उनकी महागठबंधन के मसले पर लगातार चर्चा हुई है। पार्टियों के स्तर पर हो रहे सीटों के बंटवारे की बाबत उनको जानकारी दी गई है। उनके दिए गए सुझावों पर अमल किया जा रहा है।