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Coronavirus Update: कोरोना संक्रमण के खतरे में झारखंड चौथे स्थान पर, देवघर सबसे अधिक संवेदनशील

Jharkhand Coronavirus Update. खराब मेडिकल सुविधाओं स्वास्थ्य सूचकांकों व सामाजिक- आर्थिक हालातों को आधार बनाया गया। बिहार के दरभंगा में सबसे ज्यादा जोखिम है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 12:11 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 05:49 PM (IST)
Coronavirus Update: कोरोना संक्रमण के खतरे में झारखंड चौथे स्थान पर, देवघर सबसे अधिक संवेदनशील
Coronavirus Update: कोरोना संक्रमण के खतरे में झारखंड चौथे स्थान पर, देवघर सबसे अधिक संवेदनशील

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Coronavirus News Update झारखंड में कोरोना वायरस का संक्रमण बढऩे का खतरा मध्य प्रदेश, बिहार और तेलंगाना के बाद सबसे अधिक है। ग्लोबल मेडिकल जर्नल 'द लैंसेट' के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। यह अध्ययन राज्यों में उपलब्ध मेडिकल सुविधाओं, वहां के स्वास्थ्य सूचकांकों, सामाजिक-आर्थिक हालात, शिक्षा, जनसंख्या में आयुवर्ग अनुपात, घरों की सघनता तथा साफ-सफाई के आधार पर किया गया है। जर्नल ने इन आधारों पर कोरोना के संक्रमण के खतरे को लेकर भारत के राज्यों की रैंकिंग की है। इसमें झारखंड सबसे अधिक जोखिम वाले राज्यों में चौथे स्थान पर है।

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देवघर का सूचकांक 0.986

इस अध्ययन में झारखंड के एक जिला देवघर को कोरोना संक्रमण के अधिक खतरों वाले भारत के 20 जिलों में शामिल किया है। यह जिला दसवें स्थान पर है। देवघर का कुल सूचकांक 0.986 आया है, जो देश के सबसे अधिक खतरे वाले जिले बिहार के दरभंगा के सूचकांक एक के करीब है। देवघर में भी झारखंड की तरह मेडिकल सुविधाओं की कमी, स्वच्छता का अभाव, सामाजिक-आर्थिक हालातों के कारण संक्रमण बढऩे का जोखिम अधिक है।

स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता में कमी

झारखंड की बात करें तो आर्थिक-सामाजिक स्थिति, निवास एवं स्वच्छता तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता में खतरनाक जोखिम वाले राज्यों में शामिल है। ज्यादा लोगों वाले आवास, शौचालय कम होने और हाथ साफ करने की सही व्यवस्था नहीं होने से भी संक्रमण बढऩे का खतरा यहां अधिक बताया गया है। वहीं, 60 वर्ष से अधिक उम्र वर्ग की आबादी, शहरी आबादी का घनत्व कम होने के कारण झारखंड बेहतर स्थिति में है।

स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता में प्रति एक लाख आबादी पर उपलब्ध अस्पताल, अस्पताल से दूर आबादी का अनुपात, डॉक्टरों की उपलब्धता तथा अन्य सूचकांकों को देखा गया है। 40 से 54 वर्ष के पुरुषों और 40-49 वर्ष की महिलाओं, जिन्हेंं दिल की बीमारी, डायबिटीज, दमा और कैंसर का खतरा है तथा ऐसे लोगों का अनुपात जो नशा करते हैं एवं 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की स्थिति को जोखिम मानकर भी अध्ययन किया गया। इसमें झारखंड की हालत उतनी खराब नहीं है।

स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति

स्वास्थ्य केंद्र - जरूरत  - उपलब्ध - कमी (प्रतिशत में)

स्वास्थ्य उपकेंद्र - 6768 - 3848 - 43

प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र - 1079 - 298 - 72

सामुदायिक स्वास्थ्य उपकेंद्र - 269 - 171 - 36

यह हालत भी

  • 667 पद स्वीकृत हैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के, लेकिन उपलब्ध 336 हैं।
  • 684 विशेषज्ञ चिकित्सक चाहिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में, उपलब्ध महज 66 हैं।
  • 469 फार्मासिस्ट की जरूरत है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में, लेकिन उपलब्ध 241 ही हैं।
  • 469 लैब तकनीशियन और 2799 नर्सिंग स्टाफ चाहिए, लेकिन उपलब्ध महज क्रमश: 264 और 1190 ही हैं।

इस पैमाने पर यहां खड़ा है झारखंड

पैमाना : संक्रमण बढऩे का इंडेक्स

ओवर ऑल : 0.914

सामाजिक-आर्थिक हालात : 0.857

जनसांख्यिकी : 0.371

निवास एवं स्वच्छता : 0.943

स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता : 0.943

महामारी प्रसार के कारण : 0.200

जोखिम वाले दस राज्यों की यह है स्थिति

राज्य - रैंकिंग - इंडेक्स

मध्य प्रदेश - 1 - 1.000

बिहार - 2 - 0.971

तेलंगाना -  3 -  0.943

झारखंड  - 4 -  0.914

उत्तर प्रदेश -  5 - 0.886

बंगाल - 6 - 0.829

महाराष्ट्र  -  7 -  0.829

ओडिशा - 8 - 0.800

गुजरात - 9 -  0.771

आंध्र प्रदेश - 10 -  0.714

सबसे ज्यादा जोखिम वाले दस जिले

जिला - राज्य - इंडेक्स - रैंक

दरभंगा - बिहार - 1.000 - 1

सीतापुर - उत्तर प्रदेश - 0.998 - 2

समस्तीपुर - बिहार - 0.997 -  3

छपरा - बिहार - 0.995 -  4

शिवहर - बिहार - 0.994 - 5

झाबुआ - मध्य प्रदेश - 0.992 -   6

वैशाली - बिहार - 0.991 - 7

सहरसा - बिहार - 0.989 - 8

बलरामपुर - उत्तर प्रदेश - 0.987 - 9

देवघर - झारखंड - 0.986 - 10

(नोट : इंडेक्स में 1.0 अंक का मतलब सबसे ज्यादा विकराल,  0.75 से अधिक मतलब खतरनाक, शून्य मतलब खतरा बेहद कम। इस लिहाज से झारखंड की हालत विकराल तो नहीं, पर पांच में से तीन इंडेक्स में खतरनाक जरूर है।)

'लैंसेट का अध्ययन सही है। सरकार को स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ानी ही होगी। इसमें झारखंड पीछे है। लोगों को भी जागरूक होना होगा। संक्रमण रोकने के लिए सरकार को सख्ती भी बरतनी होगी।' -डॉ. एके सिंह, अध्यक्ष, आइएमए, झारखंड।


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