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सिस्‍टम की मार से अफसर भी हुए तबाह, आरोप मुक्त तो हुए पर सजा की तरह बीते 10 साल

Jharkhand News लापुंग बीडीओ पर 2011 में प्रखंड स्थित आवासीय परिसर में नहीं रहने का आरोप लगा था। दस साल बाद आरोप मुक्त हुए। टंडवा के तत्कालीन बीडीओ पर लगे आरोप भी चार वर्षों के बाद निराधार पाए गए।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 12:39 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 09:08 AM (IST)
सिस्‍टम की मार से अफसर भी हुए तबाह, आरोप मुक्त तो हुए पर सजा की तरह बीते 10 साल
व्यवस्था के जाल में फंसकर बड़े-बड़े तबाह होते हैं।

रांची, राज्य ब्यूरो। छोटा सा आरोप था- प्रखंड मुख्यालय स्थित आवासीय परिसर में नहीं रहने का। लेकिन, यही छोटा सा आरोप नासूर की तरह लग गया और एक दशक के बाद पीछा छूटा। इस आरोप में अगर दंड भी मिलता तो इतना नहीं, लेकिन दस साल के एक-एक दिन किसी सजा से कम नहीं था। ऐसे ही एक और मामले में आठ साल बाद एक अन्य बीडीओ भी आरोप मुक्त हुए। यह उदाहरण यह समझने के लिए काफी है कि किस प्रकार नियमों और व्यवस्था के जाल में फंसकर बड़े-बड़े तबाह होते हैं, परेशान होते हैं और जब न्याय मिलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है।

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झारखंड प्रशासनिक सेवा के दो अफसरों को मंगलवार को आरोप मुक्त कर दिया गया है। दोनों अधिकारियों के खिलाफ सरकारी नियमों की अनदेखी के आरोप में कार्यवाही चल रही थी। प्रखंड मुख्यालय में निवास नहीं करने और औचक निरीक्षण के क्रम में नहीं पाए जाने के आरोप में रांची के लापुंग प्रखंड के तत्कालीन सीओ सह बीडीओ शहजाद परवेज को निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा चतरा के टंडवा के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रताप टोप्पो को भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी के साथ मुक्त किया गया है।

कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। नवंबर 2011 में जिला आपूर्ति पदाधिकारी के औचक निरीक्षण में लापुंग के तत्कालीन सीओ सह बीडीओ शहजाद परवेज अपने कार्यालय में मिले तो लेकिन आशंका जाहिर की गई कि वे आवास में नहीं रहते हैं। यहां से शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप और कार्यवाहियों का दौर दस वर्षों तक चला और अब जाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी को आरोपों से मुक्ति मिली है।

तत्कालीन जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने उनके आवास में रसोइया से बात की थी और यह आशंका व्यक्त की थी कि वे अक्सर यहां नहीं आते हैं। आरोप और स्पष्टीकरण का दौर आठ वर्षों तक लगातार चला और अब 2021 में उन्हें आरोपों से मुक्ति मिली है। इस दौरान परवेज ने बताया कि तत्कालीन जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने महज भ्रामक तथ्यों पर अपनी रिपोर्ट दी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि प्रतीत होता है कि वे आवास में नहीं रहते हैं।

इसी आधार पर परवेज ने आरोप से मुक्त करने का आग्रह किया। इसपर रांची उपायुक्त ने अपने मंतव्य में परवेज के स्पष्टीकरण को स्वीकार करने का आग्रह कार्मिक विभाग से किया था। दूसरे मामले में टंडवा के तत्कालीन बीडीओ प्रताप टोप्पो पर आरोप है कि उन्होंने आवास योजना के लाभुकों की जियो टैगिंग में नियमों की अनदेखी की और कई लोगों का नाम इसमें नहीं जुड़ सका। ऐसा तब हुआ जब मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में इसके लिए हिदायत दी थी। बीडीओ के स्पष्टीकरण के बाद ग्रामीण विकास विभाग से मंतव्य भी मांगा गया। इसके बाद उन्हें आरोप मुक्त कर दिया गया है।


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