यहां अफसर खेल रहे रिमाइंडर का खेल, जांच में लेटलतीफी से भ्रष्टाचार की फाइलें दबीं
अवैध तरीके से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में रांची के जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार के विरुद्ध (एसीबी) को अब तक प्रारंभिक जांच (पीई) की अनुमति नहीं मिली है।
रांची, [दिलीप कुमार]। अवैध तरीके से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में रांची के जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को अब तक प्रारंभिक जांच (पीई) की अनुमति नहीं मिली है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को अनुमति के लिए पत्र लिखा था। दो बार रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद यह स्थिति है।
मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने तर्क दिया कि उन्हें अब तक मनोज कुमार के पैतृक विभाग कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग से मंतव्य नहीं मिला है। विशेषज्ञों की मानें तो पीई की अनुमति के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग खुद सक्षम है। ऐसे में आरोपित के पैतृक विभाग से ही मंतव्य मांगना उचित नहीं है।
रांची के जिला सहकारिता पदाधिकारी के खिलाफ लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के यहां शिकायत पहुंची थी। लोकायुक्त ने ही एसीबी को पीई दर्ज कर अनुसंधान का निर्देश दिया था। अब तक पीई दर्ज नहीं होने से यह मामला लंबित है।
पीई के लिए क्या है भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का संकल्प
- जनप्रतिनिधि : मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री का अनुमोदन।
- प्रथम श्रेणी के लोकसेवक : अखिल भारतीय सेवा के पदाधिकारी व राज्य सरकार के विभागाध्यक्ष के विरुद्ध जांच के लिए मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री का अनुमोदन।
- अन्य प्रथम श्रेणी के लोकसेवक : निगरानी आयुक्त के माध्यम से मुख्य सचिव का अनुमोदन।
- द्वितीय श्रेणी व समकक्ष : निगरानी आयुक्त का अनुमोदन।
- तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी : एसीबी प्रमुख का अनुमोदन।
मंत्रिमंडल निगरानी में डंप हैं कई फाइलें
पीई व प्राथमिकी से संबंधित दर्जनभर फाइलें मंत्रिमंडल निगरानी में लंबित है। इन डंप फाइलों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, क्योंकि अनुमति मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई होती है। यहां सिर्फ जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार का मामला ही विभाग में लंबित नहीं, बल्कि कोडरमा के रेंजर डा. दिनेश प्रसाद के मामले में भी पीई की अनुमति विभाग में लंबित रही।