माओवादियों ने SPO बता ग्रामीण को गोलियों से भूना, बेटा पलामू डीआइजी का है ड्राइवर Lohardaga News
Jharkhand News सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से पुलिस घटनास्थल तक जाने से बच रही है। घटना रविवार की रात आठ बजे की है। मृतक का पुत्र राजेश भगत पलामू डीआइजी राज कुमार लकड़ा का ड्राइवर है। राजेश भगत ने ही सेरेंगदाग थाना पुलिस को मामले की सूचना दी।
लोहरदगा, जासं। लोहरदगा जिले के सेरेंगदाग थाना अंतर्गत अति उग्रवाद प्रभावित मुंगो चौक के समीप भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के हथियारबंद दस्ता ने एक ग्रामीण की गोली मारकर हत्या कर दी है। दस्ता का नेतृत्व माओवादी रीजनल कमांडर 15 लाख का इनामी रविंद्र गंझू कर रहा था। माओवादियों ने घटनास्थल पर पर्चा छोड़कर हत्या की जिम्मेवारी ली है। माओवादियों ने घटनास्थल पर एक केन बम भी छोड़ा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से पुलिस घटनास्थल तक नहीं पहुंची है।
सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से पुलिस घटनास्थल तक जाने से बच रही है। घटना रविवार की रात आठ बजे की है। मृतक का पुत्र राजेश भगत पलामू डीआइजी राज कुमार लकड़ा का ड्राइवर है। राजेश भगत ने ही सेरेंगदाग थाना पुलिस को मामले की सूचना दी। इस पर सेरेंगदाग थाना प्रभारी ने वाहन उपलब्ध कराने और स्वजनों को ही शव को थाना लेकर आने के लिए कहा। मामला पुलिस के संज्ञान में आने के बाद स्थानीय पुलिस हर एक बिंदु पर जांच कर रही है।
एसपी प्रियंका मीना ने घटना की पुष्टि की है। माओवादियों ने मृतक को एसपीओ बताया है। हालांकि पुलिस मृतक के एसपीओ होने से इंकार कर रही है। बताया जा रहा है कि मुंगो गांव निवासी स्वर्गीय गंदुर भगत का पुत्र जागीर भगत (50) विकास योजनाओं में मुंशी का काम करता था। साथ ही जागीर भगत की मुंगो चौक में एक छोटी सी दुकान भी है। जागीर भगत और उसकी पत्नी रविवार की रात दुकान में सोने के लिए जा रहे थे। तभी वहां पर तीन मोटरसाइकिल में आधा दर्जन की संख्या में हथियारबंद माओवादी पहुंचे।
उन्होंने जागीर भगत और उसकी पत्नी को रस्सी से बांधकर मुंगो चौक के पास ले आए। यहां दोनों की जमकर पिटाई की। इसके बाद जागीर भगत की पत्नी को भागने को कहा। माओवादियों ने जागीर भगत पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाते हुए उसे तीन गोली मार दी। इससे मौके पर ही जागीर भगत की मौत हो गई। घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों ने वहां पर एक केन बम भी छोड़ा है। इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हो गई है।
बताया जाता है कि साल 2018 में भी जागीर भगत को गोली मारी गई थी। उस वक्त गोली उसकी बांह में लगी थी। इस घटना में जागीर भगत बच गया था, पर 15 नवंबर 2020 की घटना में जागीर की मौत हो गई। अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से पुलिस बेहद सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रही है। जागीर भगत की मौत को एक उदाहरण बताते हुए माओवादियों ने पर्चा में कहा है कि इसी प्रकार से एसपीओ का हश्र किया जाएगा।