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अधिकारियों की लापरवाही, बैंक खाते के अभाव में लाभ से वंचित अनेक छात्र

सवाल यह भी उठता है कि यदि इतनी संख्या में बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल पाया है तो वहां छात्रवृत्ति की राशि बच्चों को कैसे मिल रही है। बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल पाना स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की लापरवाही और उदासीनता को दर्शाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 16 Dec 2021 02:33 PM (IST)Updated: Thu, 16 Dec 2021 02:33 PM (IST)
अधिकारियों की लापरवाही, बैंक खाते के अभाव में लाभ से वंचित अनेक छात्र
बैंक खाते के अभाव में लाभ से वंचित अनेक छात्र। प्रतीकात्मक

रांची, राज्य ब्यूरो। चतरा जिले में जिला शिक्षा पदाधिकारियों तथा जिला शिक्षा अधीक्षकों की लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में बच्चे पोशाक से वंचित हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण बड़ी संख्या में बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल पाना है। इससे उनके खाते में पोशाक की राशि का हस्तांतरण नहीं हो पा रहा है। यहां सरकारी स्कूलों में नामांकित 1,79,043 बच्चों में से 54,318 बच्चों के पास ही बैंक खाता है। इस तरह लगभग 70 प्रतिशत बच्चे बिना बैंक खाते के हैं, जिससे उन्हें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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हालांकि जिले के अधिकारी अब बैंक खाता खोलने के लिए अभियान चलाने की बात कह रहे हैं। जो भी हो, बार-बार निर्देश के बावजूद बड़ी संख्या में बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल पाना चिंताजनक है। बच्चों को सही लाभ मिल सके, इसलिए राज्य सरकार ने अन्य योजनाओं की तरह पोशाक की राशि भी बच्चों के बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। स्कूलों में मध्याह्न् भोजन नहीं बनने से प्रतिपूर्ति के रूप में कुकिंग कास्ट की राशि भी बच्चों के बैंक खाते में ही सीधे भेजी जानी है। बैंक खाता नहीं होने से बड़ी संख्या में बच्चे इससे भी वंचित हो सकते हैं। बच्चों को कई अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं, जिनमें डीबीटी से भुगतान होता है। इनमें बच्चों को मिलनेवाली छात्रवृत्ति प्रमुख है।

सवाल यह भी उठता है कि यदि इतनी संख्या में बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल पाया है तो वहां छात्रवृत्ति की राशि बच्चों को कैसे मिल रही है। इसकी भी पड़ताल होनी चाहिए। बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल पाना जिला के पदाधिकारियों तथा संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की लापरवाही और उदासीनता को दर्शाता है। राज्य सरकार को ऐसे पदाधिकारियों, कर्मियों एवं प्रधानाध्यापकों की पहचान कर उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही अभियान चलाकर उन बच्चों के बैंक खाता खोलने का प्रयास होना चाहिए, जिनके पास अभी तक बैंक खाता नहीं है। जरूरत है इस मामले में संबंधित पदाधिकारियों के साथ-साथ, बैंकों, शिक्षकों और अभिभावकों को अपने-अपने स्तर से दायित्वों के निवर्हन की।

बैंक खाते के अभाव में लाभ से वंचित अनेक छात्र। प्रतीकात्मक

बार-बार निर्देश के बावजूद बड़ी संख्या में बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल पाना चिंताजनक है। इससे उन्हें डीबीटी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।


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