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Jharkhand: जनजातीय परामर्शदात्री पर्षद कितनी कारगर, लिए गये निर्णयों का कितना हुआ अनुपालन, अध्ययन कराएगी सरकार

झारखंड में जनजातीय हितों के लिए गठित जनजातीय परामर्शदातृ पर्षद (टीएसी) अपने उद्देश्य में कितनी सफल और कारगर रही है राज्य सरकार इसका अध्ययन कराएगी। इसकी जिम्मेदारी कल्याण विभाग द्वारा संचालित डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान को दी गई है।

By Neeraj AmbasthaEdited By: Mohit TripathiPublished: Sun, 05 Feb 2023 10:19 PM (IST)Updated: Sun, 05 Feb 2023 10:19 PM (IST)
Jharkhand: जनजातीय परामर्शदात्री पर्षद कितनी कारगर, लिए गये निर्णयों का कितना हुआ अनुपालन, अध्ययन कराएगी सरकार
कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान कराएगा अध्ययन

राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड में जनजातीय हितों के लिए गठित जनजातीय परामर्शदात्री पर्षद (टीएसी) अपने उद्देश्य में कितनी सफल और कारगर रही है, राज्य सरकार इसका अध्ययन कराएगी। इसकी जिम्मेदारी कल्याण विभाग द्वारा संचालित डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान को दी गई है।

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कितना हुआ अनुपालन, होगा अध्ययन

संस्थान ने इसे लेकर आवश्यक प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह अध्ययन विशेषज्ञता हासिल संस्थान द्वारा कराया जाएगा। राज्य में जनजातीय कल्याण को लेकर टीएसी द्वारा लिए गए निर्णयों का कितना अनुपालन हो सका है, इसका भी अध्ययन कराया जाएगा।

टीएसी की बैठकों में लिए गए हैं कई महत्वपूर्ण निर्णय

टीएसी की विभिन्न बैठकों में जनजातीय हितों को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इनमें से कई निर्णयों के अनुपालन को लेकर राज्य सरकार काफी आगे बढ़ी है, वहीं कई निर्णय लंबित भी रह जाते हैं। इसी को ध्यान में रखकर इसका अध्ययन कराया जा रहा है।

सरना धर्म कोड लागू करने को लेकर राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को प्रस्ताव भेजने, प्राथमिक स्कूलों में जनजातीय भाषाओं में पढ़ाई, जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना आदि कई निर्णय टीएसी की बैठकों में लिए गए। इनमें सरकार काफी आगे बढ़ी।

एसटी की जमीन हास्तांतरित किए जाने की भी होगी जांच

एसटी की जमीन हस्तांतरित किए जाने की जांच का भी निर्णय इसमें लिया गया जिसके लिए उपसमिति भी गठित की गई। इसका क्या फलाफल रहा, अभी तक सामने नहीं आ सका है। इधर, टीएससी के गठन की वैधानिकता को लेकर ही सवाल उठ रहे हैं।

राज्यपाल ने कमिटी को बताया था असंवैधानिक

राज्यपाल ने इसे असंवैधानिक बताते हुए इस पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। उन्होंने इसकी हो रही बैठकों पर भी सवाल उठाए हैं। राज्यपाल का कहना है कि टीएसी में दो सदस्यों का मनोनयन राजभवन द्वारा होना चाहिए, जो नहीं हुआ है। दरअसल, नई नियमावली में ही इस प्रविधान काे समाप्त कर दिया गया।

संस्थान ने ही बनाई है नियमावली

राज्य में जनजातीय परामर्शदातृ पर्षद का गठन जिस नई नियमावली के तहत की गई है उसका ड्राफ्ट भी डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान ने ही तैयार किया था। संस्थान ने इसके लिए समिति गठित की थी, जिसकी अनुशंसा पर ड्राफ्ट तैयार किया गया।

नई नियमावली में यह भी प्रविधान किया गया था कि टीएसी में लिए गए निर्णयों के अनुपालन के लिए टीएसी का एक सचिवालय होगा। अभी तक इसकी स्थापना नहीं की गई है।


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