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Private Job Reservation: निजी कंपनियों में 75% पद स्‍थानीय के लिए आरक्षित, नहीं मानने पर पांच लाख तक जुर्माना

Jharkhand Government News झारखंड विधानसभा में आज कई विधेयक पारित हुए। झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक-2021 और झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक-2021 विधानसभा में पारित हुआ। श्रम विभाग में पंजीकृत युवाओं को इसका लाभ मिलेगा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 09:49 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 02:29 PM (IST)
Private Job Reservation: निजी कंपनियों में 75% पद स्‍थानीय के लिए आरक्षित, नहीं मानने पर पांच लाख तक जुर्माना
Jharkhand Government News झारखंड विधानसभा में आज कई विधेयक पारित हुए।

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत पद स्थानीयों के लिए आरक्षित होंगे। नगर निकायों का आगामी चुनाव दलगत आधार पर नहीं होगा। दोनों नीतिगत फैसलों से संबद्ध विधेयक बुधवार को विधानसभा में पारित किए गए। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद विधि विभाग गजट नोटिफिकेशन निकालेगा। निजी कंपनियों में आरक्षण संबंधी विधेयक राज्य के निजी कंपनियों में 40 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन वाले 75 फीसद पद पर स्थानीय युवक-युवतियों के लिए आरक्षित किए जाने से संबंधित है।

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विधानसभा में श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने बुधवार को प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद अब राज्य में निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठान को स्थापित करने के लिए विस्थापित हुए परिवार के उम्मीदवार, संबंधित जिले के स्थानीय नौजवान और समाज के सभी वर्गों को नौकरी में अवसर देना होगा। यह दस या दस से अधिक व्यक्तियों का नियोजन करने वाली उन संस्थाओं पर भी लागू होगा, जिन्हें सरकार मान्यता देती है।

इससे संबंधित नियमावली में दर्ज विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करने पर कम से कम 10 हजार से पांच लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है। श्रम विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत कराने वाले युवाओं को ही इसका लाभ मिलेगा। इसमें केंद्र व राज्य सरकार के उपक्रम से जुड़ी आउटसोर्स कंपनियां भी इस कानून के दायरे में लाई गई हैं। समिति की रिपोर्ट के आधार पर सक्षम प्राधिकार कंपनी के दावे को स्वीकृत या खारिज कर सकेगा। इससे संबंधित आदेश को कंपनी 60 दिन के अंदर अपीलीय प्राधिकार में अपील कर सकेगी।

नगरपालिका में स्थानीय व सामान्य नागरिकों का होगा प्रतिनिधित्व

झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक-2021 विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संशोधित विधेयक को विधानसभा के सामने रखा, जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पारित किया। इस विधेयक को लाने के पीछे सरकार ने यह तर्क दिया कि नगर निकाय प्रशासनिक दृष्टिकोण से तृतीय स्तर की सरकार होती है, जिसमें स्थानीय प्रतिनिधित्व आवश्यक है।

राजनैतिक दलगत आधार पर निर्वाचन के प्रविधान से बड़ी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों की आपसी प्रतिस्पर्धा से सामान्य नागरिकों की राजनैतिक आकांक्षाओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है तथा इनका प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है। अब इस विधेयक के पारित होने से झारखंड नगरपालिका में दलगत नहीं, स्थानीय व सामान्य नागरिकों का प्रतिनिधित्व होगा। सदन ने इस तर्क को सही माना और सर्वसम्मति से यह विधेयक पारित हो गया। अब विधेयक पर राज्यपाल की स्वीकृति के बाद विधि विभाग गजट का नोटिफिकेशन करेगा।

महापौर को इस स्थिति में हटा सकेगी सरकार

यदि राज्य सरकार के मत में महापौर या अध्यक्ष परिषद् की लगातार तीन से अधिक बैठकों में बिना पर्याप्त कारण के अनुपस्थित रहेंगे, जान-बूझकर इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों एवं कर्तव्यों को करने या इंकार करेंगे, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कदाचार का दोषी पाए जाएंगे, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में शारीरिक या मानसिक तौर पर अक्षम होंगे, किसी आपराधिक मामले का अभियुक्त होने चलते छह माह से अधिक अवधि तक फरार होंगे तो राज्य सरकार महापौर या अध्यक्ष को स्पष्टीकरण के लिए समुचित अवसर प्रदान करने के बाद उन्हें हटाने का आदेश दे सकेगी। इस प्रकार हटाया गया महापौर या अध्यक्ष शेष पदावधि के दौरान महापौर या अध्यक्ष के रूप में फिर से निर्वाचन का पात्र नहीं होगा।


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