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रांची की सड़कों पर घूम रहे 30 हजार गाय-बछड़े, पशुपालक भी नहीं दे रहे ध्‍यान Ranchi News

Jharkhand विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अभी कुछ दिन पहले तक पशुपालक अपनी सूखी और गर्भ धारण करने में अक्षम गायों को पड़ोसी राज्य बिहार में पहुंचाते थे और उनके बदले थोड़ा कम दाम की ही सही दुधारू गाय लेकर लौटते थे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 03:03 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 03:05 PM (IST)
रांची की सड़कों पर घूम रहे 30 हजार गाय-बछड़े, पशुपालक भी नहीं दे रहे ध्‍यान Ranchi News
हरमू हाउसिंग सोसायटी की मुख्य सड़क पर घूमती गाय। जागरण

रांची, जासं। पशुपालन विभाग के आंकड़े गवाह हैं कि हर साल रांची जिले में 25 से 30 हजार गाय हरा चारा न मिलने और प्रजनन के लिए उत्तम माहौल न मिलने के कारण सूख जा रही हैं। पशुपालक इनकों सड़कों पर छोड़ दे रहे हैं। उन्नत नस्ल की गायों के लगभग दो हजार बछड़े भी खेती के कामों में न आ पाने की वजह से पशुपालकों के द्वारा छोड़ दिए जाने से आवारा सड़कों पर घूम रहे हैं।

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विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अभी कुछ दिन पहले तक पशुपालक अपनी सूखी और गर्भधारण करने में अक्षम गायों को पड़ोसी राज्य बिहार में पहुंचाते थे और उनके बदले थोड़ा कम दाम की ही सही, दुधारू गाय लेकर लौटते थे। इसका कारण यह था कि बिहार में पर्याप्त हरा चारा उपलब्ध होने और गर्भ धारण करने के लिए अनुकूल माहौल मिलने से ये गायें फिर दुधारू बन जाती थीं। सरकार के नए नियम से अब यह व्यवस्था बंद हो गई है।

जिले की तमाम सड़कों पर रोजना 25 से 30 हजार गाय और दो हजार बछड़े आवारा घूमते नजर आ रहे हैं। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि शहरी क्षेत्र में गायों के सूखने की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। आलम ये है कि शहरी क्षेत्र में गायों के कृत्रिम गर्भाधान का अनुपात मात्र 35 से 40 प्रतिशत है। यदि 10 गायों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है तो इनमें से सात गायें गर्भाधान में अक्षम हो जा रही हैं। पशुपालक सूखी गायों के साथ ही बूढ़ी और बीमार गायों को भी सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दे रहे हैं।

सूखी गायों व बछड़ों के लिए नहीं कोई सरकारी व्यवस्था

भ्रमणशील पशु चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार सिंह बताते हैं कि पूरे जिले में सूखी गायों और खेती के काम में न आ पाने वाले उन्नत नस्ल के बछड़ों को रखने के लिए कहीं कोई व्यवस्था नहीं है।


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