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झारखंड में सिंबल फ्रीज होने के बाद JDU के कड़वे बोल, नीतीश के नाम पर लड़ेंगे चुनाव-मिट जाएगा झामुमो का अस्तित्‍व

जदयू के झारखंड प्रभारी रामसेवक सिंह ने कहा कि जदयू का चुनाव चिह्न फ्रीज किये जाने से कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। हम पार्टी के नेता और नीति को लेकर जनता के बीच जाएंगे।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 01:45 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 06:25 PM (IST)
झारखंड में सिंबल फ्रीज होने के बाद JDU के कड़वे बोल, नीतीश के नाम पर लड़ेंगे चुनाव-मिट जाएगा झामुमो का अस्तित्‍व
झारखंड में सिंबल फ्रीज होने के बाद JDU के कड़वे बोल, नीतीश के नाम पर लड़ेंगे चुनाव-मिट जाएगा झामुमो का अस्तित्‍व
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड जदयू ने झामुमो पर पलटवार किया है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के झारखंड प्रभारी रामसेवक सिंह और ने दो टूक कहा है कि जदयू का चुनाव चिह्न फ्रीज कर दिए जाने से पार्टी की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हम पार्टी के नेता और नीति को लेकर नए चुनाव चिह्न के साथ जनता के बीच जाएंगे। प्रदेश जदयू के कार्यकर्ताओं की हौसला आफजाई के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सितंबर स्रह्य पहले सप्ताह में रांची आएंगे।
इस बीच, प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि तीर-धनुष आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान है, जिसे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भुनाने का काम कर रहा है। जदयू झारखंड मेंं झामुमो का चुनाव चिह्न फ्रीज करने के लिए निर्वाचन आयोग को आवेदन देगा, हाई कोर्ट भी जाएगा। दोनों रविवार को राजकीय अतिथिशाला में पत्रकारों से मुखातिब थे। रामसेवक सिंह ने कहा कि बिहार में झामुमो का चुनाव चिह्न फ्रीज कर दिए जाने से उसकी दुकानदारी बंद हो गई है।
यह पूछे जाने पर कि जदयू बिहार में भाजपा के साथ गलबहियां कर रहा है और झारखंड में भाजपा विरोधी बातें करता है, उन्होंने दो टूक कहा, जदयू बिहार में अपनी शर्तों पर सरकार चला रहा है। गठबंधन सिर्फ बिहार में है, अन्य राज्यों में नहीं। पार्टी उसूल की राजनीति करती है, जहां गलत होगा, वहां प्रहार भी करेगी। विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर उन्होंने बस इतना ही कहा, जदयू बहरहाल झारखंड की सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी में है।
प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि झारखंड में झामुमो की पहचान उसके चुनाव चिह्न से है। जनता तीर-धनुष को पहचानती है कि न कि शिबू और हेमंत का चेहरा देखकर वोट देती है। ऐसे में उनका चुनाव चिह्न फ्रीज हो जाने पर उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। दोनों चार बार राज्य के सीएम रहे, परंतु न तो उन्होंने छोटानागपुर टीनैंसी एक्ट (सीएनटी एक्ट) और संताल परगना टीनैंसी एक्ट (एसपीटी एक्ट) की रक्षा की, न पलायन और विस्थापन पर गौर फरमाया और न ही पंचायतों को संविधान प्रदत्त शक्तियां ही प्रदान की। अलबत्ता उन्होंने स्वयं ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट का सर्वाधिक उल्लंघन किया है।

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