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Jharkhand High Court : हाई कोर्ट ने बीएयू में सहायक प्रोफेसर नियुक्ति मामले में मांगा जवाब

Jharkhand High Court झारखंड हाई कोर्ट में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय(Birsa Agricultural University) असिस्टेंट प्रोफेसर सह कनीय वैज्ञानिक के पद नियुक्ति के मामले में सुनवाई हुई। अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई और मौखिक रूप से कहा कि यह अवमानना का मामला(Case Of Contempt) प्रतीत हो रहा है।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 03:39 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 03:39 PM (IST)
Jharkhand High Court : हाई कोर्ट ने बीएयू में सहायक प्रोफेसर नियुक्ति मामले में मांगा जवाब
Jharkhand High Court : हाई कोर्ट ने बीएयू में सहायक प्रोफेसर नियुक्ति मामले में मांगा जवाब

रांची (राज्य ब्यूरो)। Jharkhand High Court : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा एसएन पाठक की अदालत में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय(Birsa Agricultural University) असिस्टेंट प्रोफेसर सह कनीय वैज्ञानिक के पद नियुक्ति के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि जो लोग इस मामले को लेकर कोर्ट आए हैं, उनसे काम नहीं लिया जा रहा है, जबकि दूसरे अन्य संविदा पर कार्यरत सहायक प्रोफेसर(Assistant Professor) से काम लिया जा रहा है, जो कि अवैध और भेदभाव पूर्ण है।

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यह अवमानना का मामला(Case Of Contempt) प्रतीत हो रहा है: हाई कोर्ट

इस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई और मौखिक रूप से कहा कि यह अवमानना का मामला(Case Of Contempt) प्रतीत हो रहा है। इस तरह का भेदभावपूर्ण रवैया बीएयू(BAU) से आपेक्षित नहीं है। इसके बाद अदालत ने इस मामले में बीएयू से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई जनवरी में होगी। इस संबंध में डा संजीत कुमार व अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई है।

बीएयू की ओर से ऐसा किया जाना पूरी तरह से गलत है और भेदभाव पूर्ण है: अधिवक्ता

सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि प्रार्थियों वर्ष 2015 से ही संविदा के आधार पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर सह कनीय वैज्ञानिक के पद पर काम कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने नई नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन पर पूर्व में रोक लगा दी थी। इसके बाद प्रार्थियों का संविदा पर काम करने की अवधि 16 नवंबर को समाप्त हो गई। ऐसे में हाई कोर्ट के रोक के बाद वैसे लोगों से काम नहीं लिया जा रहा है, जिन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जबकि उन लोगों से अभी भी काम लिया जा रहा है, जो हाई कोर्ट नहीं गए थे। उनकी भी संविदा पर काम करने की अवधि 16 नवंबर को समाप्त हो रही है। बीएयू की ओर से ऐसा किया जाना पूरी तरह से गलत है और भेदभाव पूर्ण है।

अदालत की ओर से बीएयू को जवाब दाखिल करने का निर्देश:

इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि बीएयू की यह कृत्य अवमानना के दायरे में आता है। कोर्ट ने पूरे मामले में बीएयू को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। बता दें कि बीएयू में 26 सहायक प्रोफेसर संविदा पर काम कर रहे हैं। जिसमें 13 ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।


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