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कैडर बदलने पर नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ, हाई कोर्ट ने खारिज किया एकलपीठ का आदेश

JPSC News Reservation Benefit on Cadre Change Jharkhand Samachar अदालत ने कहा कि इस मामले में सरकार और जेपीएससी का पक्ष सही है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था लेकिन सरकार को वहां पर भी राहत नहीं मिली।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 04:54 PM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 12:56 PM (IST)
कैडर बदलने पर नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ, हाई कोर्ट ने खारिज किया एकलपीठ का आदेश
JPSC News, Reservation Benefit on Cadre Change, Jharkhand Samachar यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था।

रांची, राज्य ब्यूरो। JPSC News, Reservation Benefit on Cadre Change, Jharkhand Samachar झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने सीमित डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति में आरक्षण का लाभ देने के एकल पीठ के आदेश को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में सरकार और जेपीएससी का पक्ष सही है। इसलिए एकलपीठ के आदेश को खारिज किया जाता है। दरअसल, अखिलेश प्रसाद व मनोज कुमार की नियुक्ति संयुक्त बिहार में हुई थी।

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झारखंड राज्य का गठन होने के बाद ये लोग झारखंड कैडर में आ गए। वर्ष 2010 में जेपीएससी की ओर से सरकारी सेवा के लोगों के लिए सीमित डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इन लोगों ने भी आवेदन दिया था। लेकिन जेपीएससी ने इनके आवेदन को रद कर दिया। क्योंकि विज्ञापन में आरक्षण का लाभ लेने के लिए यहां का जाति प्रमाण पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र देने की शर्त थी। अखिलेश प्रसाद ने उक्त दस्तावेज नहीं दिया था, जबकि मनोज कुमार ने जाति प्रमाण पत्र दिया था।

लेकिन जेपीएससी की अनुशंसा को सरकार ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि प्रोन्नति में इन्हें आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है, लेकिन नई नियुक्ति में नहीं। इसके बाद इन लोगों ने एकल पीठ में याचिका दाखिल की। एकल पीठ ने कहा कि वे झारखंड कैडर में नौकरी कर रहे हैं इसलिए इन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। इसके बाद सरकार और जेपीएससी ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में याचिका दाखिल की।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था, लेकिन सरकार को वहां पर भी राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को वापस हाई कोर्ट भेजते हुए कहा कि आदेश की प्रति मिलने के दो माह में इसका निष्पादन किया जाए। जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस कुमार सिंह ने पैरवी की।


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