नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी : हाई कोर्ट
Jharkhand News Ranchi Samachar रांची स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी मामले में अदालत ने कहा कि सरकार को ही बुनियादी सुविधा देनी है। महाधिवक्ता ने शपथ पत्र के लिए समय मांगा। कहा कि हाई कोर्ट के नए भवन के अधूरे काम को सरकार को ही पूरा करना होगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News, Ranchi Samachar झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डाॅ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड नहीं दिए जाने के मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस का दर्द छलका। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन संस्थान चलते रहेंगे। किसी को यह गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए कि अदालतों को कुछ भी पता नहीं होता है। हमें सभी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी रहती है।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है और इसे पूरा ही करना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट के नए भवन के अधूरे काम को सरकार को ही पूरा करना होगा और ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता है। इस दौरान अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के नए भवन, पटना हाई कोर्ट के नए भवन, लखनऊ की बेंच के नए भवन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सरकारों ने भवन बनाने में पैसे की कमी नहीं होने दी है, लेकिन यहां सरकार जिद पर अड़ी है।
यह विचार करना चाहिए कि राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवाएं बेहतर होंगी, तो आने वाला कल अच्छा होगा। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में यहां के छात्रों को लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित है, लेकिन सरकार बुनियादी सुविधाओं के लिए वित्तीय सहयोग नहीं करना चाहती है। अदालत ने कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड नहीं देना और हाई कोर्ट के नए भवन को ऐसे ही छोड़ देना या तो राजनीतिक अपरिपक्वता है या फिर नौकरशाहों की मनमानी है। किसी संस्थान को बेहतर सुविधा देने से कोई रोक नहीं सकता है।
सीजे ने कहा कि हम नया हाई कोर्ट जाना ही नहीं चाहते हैं, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि हाई कोर्ट का अधूरा भवन हमें चिढ़ा रहा है। सरकार नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को एकमुश्त सिर्फ 25 करोड़ रुपये देकर पल्ला नहीं झाड़ सकती है। अदालत ने मुख्य सचिव से कहा कि वे सरकार को समझाएं कि वह ऐसा नहीं करे। लोकतंत्र में कोई राजा नहीं होता है। सभी को अलग-अलग अधिकार दिया गया है। इस दौरान महाधिवक्ता की ओर से विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। इस दौरान मुख्य सचिव, भवन सचिव, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति ऑनलाइन कोर्ट में हाजिर हुए थे।