Jharkhand High Court: पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की अपील पर फैसला सुरक्षित
Yogendra Sao. रंगदारी मांगने के मामले में निचली अदालत ने योगेंद्र साव को ढाई साल की सजा सुनाई है। सजा के खिलाफ योगेंद्र की अपील पर हाई कोर्ट में बहस पूरी हो गई है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की ओर से सजा के खिलाफ दाखिल अपील याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। योगेंद्र साव को कंपनी के प्रबंधक से रंगदारी मांगने के मामले में रामगढ़ की निचली अदालत ने ढाई साल की सजा सुनाई है। सजा खिलाफ इन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में योगेंद्र साव को सीआरपीसी की धारा 197 का लाभ नहीं मिल सकता है, क्योंकि योगेंद्र साव का अपराध उनके काम की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए उनकी ओर से इसका हवाला देकर निचली अदालत की कार्यवाही को गलत बताना न्यायसंगत नहीं है।
दरअसल पिछली सुनवाई में योगेंद्र साव की ओर से कहा गया था कि घटना के समय योगेंद्र साव विधायक थे, इसलिए उनपर मुकदमा चलाने से पहले सरकार से अभियोजन स्वीकृति लेनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था, इसलिए निचली अदालत की कार्यवाही गलत है। यह भी बताया गया कि इस मामले में पेश सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) भी घटना के दिन की नहीं है।
योगेंद्र साव की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने पक्ष रखा। जिसमें अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन, वैभव श्रीवास्तव व सदिश बेक ने सहयोग किया। बता दें कि निचली अदालत ने रामगढ़ की कंपनी स्पंज आयरन के प्रबंधक से पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगने के मामले में दोषी करार देते हुए योगेंद्र साव को ढाई साल की सजा सुनाई है।