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झारखंड हाई कोर्ट ने BIT Mesra के जमीन मापी पर लगाई रोक

झारखंड हाई कोर्ट ने मेसरा गांव की जमीन में बीआइटी मेसरा की ओर से की जा रही मापी पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस मामले में प्रार्थियों को कांके के अंचलाधिकारी के पास आवेदन देने का निर्देश दिया है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Wed, 27 Jan 2021 10:07 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 10:07 AM (IST)
झारखंड हाई कोर्ट ने BIT Mesra के जमीन मापी पर लगाई रोक
झारखंड हाई कोर्ट ने बीआइटी मेसरा के जमीन मापी पर लगाई रोक। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट ने मेसरा गांव की जमीन में बीआइटी मेसरा की ओर से की जा रही मापी पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश  दिया है। अदालत ने इस मामले में प्रार्थियों को कांके के अंचलाधिकारी के पास आवेदन देने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने अंचलाधिकारी को तीन माह में प्रार्थियों के दावे की जांच कर उचित आदेश पास करने को कहा है।

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इस संबंध में कुशल मुंडा एवं अन्य की ओर से याचिका दायर की गयी है। याचिका में कहा गया है कि बीआइटी मेसरा ने अपनी वेबसाइट पर आम सूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि उनकी ओर से मेसरा, पंचोली और नवागांव की 456.62 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी है।

इसके बाद अक्टूबर माह में जमीन के नापी की कार्रवाई शुरू कर दी गयी। इसके खिलाफ इस गांव के लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका किया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील निरंजन कुमार ने अदालत को बताया कि बीआइटी मेसरा जिस जमीन की मापी की कर रहा है, वह मेसरा, पंचोली और नवागांव के लोगों की रैयती जमीन है।

कई वर्षों से इनके पूर्वज यहां रह रहे हैं। ऐसे में बीआइटी मेसरा का उक्त जमीन पर दावा गलत है, क्योंकि इसके लिए बीआइटी मेसरा की ओर से कोई कागजात भी नहीं दिखाया गया है। वहीं, बीआइटी मेसरा का दावा है कि वर्ष 1964-65 में उक्त जमीन का अधिग्रहण किया गया था।


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