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पूर्व मंत्री बंधु तिर्की मामले में हाई कोर्ट ने एसीबी से मांगा जवाब Ranchi News

Jharkhand. मंगलवार को 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपित बंधु तिर्की की जमानत पर सुनवाई हुई। अब मामले की अगली सुनवाई सात नवंबर को होगी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 01:17 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 09:26 PM (IST)
पूर्व मंत्री बंधु तिर्की मामले में हाई कोर्ट ने एसीबी से मांगा जवाब Ranchi News
पूर्व मंत्री बंधु तिर्की मामले में हाई कोर्ट ने एसीबी से मांगा जवाब Ranchi News

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में मंगलवार को राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में आरोपित पूर्व मंत्री बंधु तिर्की की जमानत पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) से जवाब मांगा है। साथ ही इस मामले की केस डायरी भी तलब की है। मामले में अगली सुनवाई सात नवंबर को होगी। सुनवाई के दौरान बंधु तिर्की के अधिवक्ता ने कहा कि 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है।

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आयोजन समिति के देखरेख में सारा काम किया गया। प्राथमिकी में भी उनका नाम नहीं था, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। इस पर एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने कहा कि इस मामले में बंधु तिर्की के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैैं, जिसके आधार पर एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया है। उनकी ओर से जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय देने की गुहार लगाई गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। पूर्व में निचली अदालत ने बंधु तिर्की की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई है।

34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में बंधु तिर्की अभी रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद हैैं । उन्‍हें भ्रष्‍टाचार निरोधक ब्‍यूरो (एसीबी) की टीम ने तब गिरफ्तार किया था, जब वे सितंबर महीने में राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में सुनवाई के लिए सिविल कोर्ट पहुंचे थे। रांची के लोअर कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश एसीबी को दिया था। गिरफ्तारी के बाद बंधु तिर्की से घंटों पूछताछ की गई थी।

बता दें कि बंधु तिर्की पर रांची में हुए साल 2011 में राष्ट्रीय खेल के दौरान खेल सामग्री की खरीदी का ठेका देने में अनियमितता, निर्माण में गड़बड़ी आदि के मामले में संगीन आरोप लगाए गए हैं। पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की पर आरोप है कि उन्होंने धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की। स्क्वैश कोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी मुंबई की एक कंपनी जाइरेक्स इंटरप्राइजेज को दी गई थी। कंपनी के 1,44,32,850 रुपये का एस्टीमेट के एवज में अग्रिम 50 लाख रुपये दिए गए थे। बाद में जांच में पता चला कि कंपनी को बिना स्वीकृति के भुगतान के कारण इस मामले में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई थी।


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