JPSC: हाई कोर्ट का फैसला, विज्ञापन की शर्तों का पालन करना सबके लिए जरूरी
JPSC जेपीएससी और जेएसएससी को राहत मिली है। शर्त के अनुसार जाति प्रमाण पत्र नहीं होने का मामला है। जेपीएससी और जेएसएससी
रांची, राज्य ब्यूरो। JPSC झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत से जेपीएससी और जेएसएससी को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें जाति प्रमाण पत्र को खारिज कर आरक्षण का लाभ नहीं देने का आरोप लगाया गया था। वादियों का कहना था कि जाति प्रमाण पत्र देने के बाद भी झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया। इस मामले में अदालत ने पूर्व में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि विज्ञापन में दी गई शर्तों का पालन करना सभी के लिए बाध्यकारी है।
दरअसल, जेपीएससी और जेएसएससी ने लगभग आधा दर्जन नियुक्तियों के लिए विज्ञापन निकाला था। ऑनलाइन आवेदन में वादियों की जाति प्रमाण के आधार पर आरक्षित कोटि में परीक्षा ली गई और उन्हें सफल घोषित किया गया। प्रमाणपत्र सत्यापन के दौरान पता चला कि वादियों के पास विज्ञापन की शर्तों के अनुसार जाति प्रमाण पत्र नहीं है। इसमें ऐसे भी अभ्यर्थी थे, जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन देने के बाद जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। वहीं, एसडीओ से नीचे स्तर के अधिकारी से प्रमाण पत्र जारी किया गया था। इसके बाद आयोग ने इनके जाति प्रमाण पत्र को खारिज करते हुए इन्हें सामान्य श्रेणी में रखा। इसके कारण कई अभ्यर्थी फेल हो गए। इसको हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। सुनवाई के दौरान वादियों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार आयोग का निर्णय गलत है। वहीं, जेपीएससी की ओर से संजय पिपरवाल, राकेश रंजन और प्रिंस कुमार सिंह ने वादी की दलील का विरोध करते हुए कहा कि विज्ञापन में दी गई शर्तों में बदलाव नहीं किया जा सकता है और सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस मामले में लागू नहीं होता है।