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रिम्स के छह स्टॉफ नर्स को नियमित करने का झारखंड हाई कोर्ट ने दिया आदेश

Jharkhand High Court News RIMS Ranchi News इससे पूर्व की सुनवाई में अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने इन्हें वर्ष 2003 से पीएफ और ग्रेच्यूटी देने का निर्देश दिया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 01:44 PM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 02:44 PM (IST)
रिम्स के छह स्टॉफ नर्स को नियमित करने का झारखंड हाई कोर्ट ने दिया आदेश
Jharkhand High Court News, RIMS Ranchi अदालत ने इन्हें वर्ष 2003 से पीएफ और ग्रेच्यूटी देने का निर्देश दिया है।

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स अस्‍पताल की छह स्टॉफ नर्स को वर्ष 2014 से नियमित करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि जब उनकी नियुक्ति सही है, तो उन्हें सभी के समान अधिकार पाने का हक है। इसलिए उन्हें वर्ष 2014 से नियमित किया जाए। जबकि रिम्स ने उन्हें वर्ष 2018 से नियमित किया है। इसके अलावा अदालत ने इन्हें वर्ष 2003 से पीएफ और ग्रेच्यूटी देने का निर्देश दिया है। क्योंकि इनकी नियुक्ति ही उस समय संविदा पर हुई थी।

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इससे पूर्व की सुनवाई में हाई कोर्ट के जस्टिस डा. एसएन पाठक की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उक्त आदेश कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि इनकी नियुक्ति वर्ष 2003 में सभी मानकों को पूरा करने के बाद हुई है। इनका मामला उमा देवी के मामले में पारित आदेश के अंतर्गत आता है। इसलिए इन्हें अलग तरीक से ट्रीट नहीं किया जा सकता है। इन्हें भी अन्य स्टॉफ नर्स की तरह सुविधा पाने का अधिकार है।

इसलिए उन्हें वर्ष 2014 से नियमित किया जाए। रिम्स ने छह स्टॉफ नर्स को उम्र का हवाला देकर नियमित नहीं किया था। इसके खिलाफ लिली कुजूर व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता शादाब बिन हक ने अदालत को बताया कि वर्ष 2003 में इन लोगों की रिम्स में संविदा के आधार पर स्टॉफ नर्स के पद पर नियुक्ति हुई थी। लेकिन रिम्स ने वर्ष 2014 में नई नियमावली बनाने के बाद स्थायी नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया।

इन लोगों ने इस नियुक्ति में आवेदन दिया, लेकिन रिम्स ने उम्र का हवाला देकर छह लोगों को नियमित नहीं किया, बल्कि इनके साथ के अन्य सभी को नियमित कर दिया। जब इनके साथ करने वाले लोगों को नियमित किया है, तो इन्हें इससे वंचित नहीं किया जा सकता है। रिम्स की ओर से कहा गया कि नियुक्ति के समय इनकी उम्र अधिक थी, इसलिए विचार नहीं किया गया। लेकिन कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2018 से इनको नियमित किया गया है। इसके बाद अदालत ने कहा कि इन्हें भी वर्ष 2014 से ही नियमित किया जाए।


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