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रघुवर सरकार को बड़ी राहत, झारखंड की स्थानीय नीति को हाई कोर्ट ने सही ठहराया Ranchi News

एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र और अपरेश कुमार सिंह की अदालत में शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार की स्थानीय नीति पर मुहर लगा दी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 05:09 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 08:07 PM (IST)
रघुवर सरकार को बड़ी राहत, झारखंड की स्थानीय नीति को हाई कोर्ट ने सही ठहराया Ranchi News
रघुवर सरकार को बड़ी राहत, झारखंड की स्थानीय नीति को हाई कोर्ट ने सही ठहराया Ranchi News

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। विधानसभा चुनावों की दहलीज पर खड़ी रघुवर दास सरकार को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार की स्‍थानीय नीति को झारखंड उच्‍च न्‍यायालय ने सही ठहराया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र और अपरेश कुमार सिंह की अदालत में शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार की स्थानीय नीति पर मुहर लगा दी। अदालत ने स्थानीय नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने यह याचिका दाखिल की थी।

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अदालत ने माना, सरकार की स्थानीय नीति में कोई कमी नहीं

झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की स्थानीय नीति को सही ठहराया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने शुक्रवार को स्थानीय नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि सरकार की स्थानीय नीति में कोई कमी नहीं है। कहा कि प्रार्थी की ओर से उठाए गए बिंदु उचित नहीं हैं, इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है। इस संबंध में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें सरकार की स्थानीय नीति को अवैध बताया गया था।

सरकार ने कहा, पांच जजों की बेंच के आदेश के तहत बनी नीति

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता जेजे सांगा ने कहा कि वर्ष 2003 में पांच जजों की बेंच ने स्थानीय नीति में राज्य के स्थानीय व्यक्ति को तय करने का निर्देश दिया था, लेकिन सरकार ने व्यक्ति के बदले निवासी शब्द का इस्तेमाल किया है। सरकार ने स्थानीय व्यक्ति तय नहीं करके स्थानीय निवासी के नाम पर डोमिसाइल तय कर दिया है। डोमिसाइल पूरे देश का होता है। इस कारण सरकार की ओर से जारी यह अधिसूचना अवैध है। इसे निरस्त कर देना चाहिए।

राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने खंडपीठ को बताया कि स्थानीय नीति को लेकर झारखंड के सभी स्टेक होल्डर, बुद्धिजीवी और पार्टियों से इस पर राय ली गई है। काफी गहन मंथन के बाद सरकार ने स्थानीय नीति को लागू किया है। 16 साल से यह मामला लंबित था और इस नीति के जरिए स्थानीय लोगों को परिभाषित किया गया है। वर्ष 2003 में प्रशांत विद्यार्थी वर्सेज झारखंड सरकार के मामले में पांच जजों की संवैधानिक पीठ की ओर से पारित आदेश के आलोक में ही इस नीति को बनाया गया है। सरकार ने स्थानीय निवासी होने के लिए कई मानक तय किए हैं। इसे पूरा करने वाले ही स्थानीय निवासी माने जाएंगे।


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