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झारखंड हाई कोर्ट ने मध्य, प्राचीन व आधुनिक इतिहास को नहीं माना इतिहास के समकक्ष

कोर्ट ने नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को किया खारिज राज्य के हाई स्कूलों में प्रशिक्षि

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 02:13 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 02:13 AM (IST)
झारखंड हाई कोर्ट ने मध्य, प्राचीन व आधुनिक इतिहास को नहीं माना इतिहास के समकक्ष
झारखंड हाई कोर्ट ने मध्य, प्राचीन व आधुनिक इतिहास को नहीं माना इतिहास के समकक्ष

कोर्ट ने नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को किया खारिज, राज्य के हाई स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ

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रांची, राब्यू : राज्य के हाई स्कूलों में अब प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने मध्यकालीन, प्राचीन और आधुनिक इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं माना और प्रार्थी अशोक कुमार द्विवेदी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

पूर्व में अदालत ने सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस संबंध में अशोक कुमार द्विवेदी सहित अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की जा रही प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति में मध्य, प्राचीन और आधुनिक इतिहास को इतिहास के समकक्ष होने के संबंध में हाई कोर्ट से आदेश पारित करने की गुहार लगाई गई थी।

पूर्व में अदालत ने इस मामले में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से जानकारी मांगी थी। यूजीसी ने कहा था कि वह सिर्फ डिग्री का निर्धारण करता है। डिग्री की समकक्षता का निर्धारण राज्य सरकार और विश्वविद्यालय करते हैं।

सुनवाई के दौरान झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल, प्रिंस कुमार सिंह व राकेश रंजन ने अदालत को बताया था कि विज्ञापन में इतिहास के शिक्षक की नियुक्ति करने की बात कही गई थी।

मध्यकालीन, प्राचीन और आधुनिक इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं माना जा सकता है। यह विषय इतिहास के पार्ट हैं, न कि पूरा इतिहास है। इसको लेकर सरकार ने राज्य के पांचों विश्वविद्यालयों से मंतव्य मांगा था। विनोबा भावे विश्वविद्यालय को छोड़कर सभी ने राज्य सरकार के निर्णय को सही माना।

बता दें कि जेएसएससी की ओर से हाई स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2016 में विज्ञापन निकाला गया था। उसमें अभ्यर्थियों के लिए स्नातक में इतिहास की योग्यता रखी गई थी। नियुक्ति के लिए प्राचीन व मध्य इतिहास की डिग्री वालों ने भी आवेदन दिया, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया। इसके बाद इन लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।


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