शिक्षकों की नौकरी बचाने का वादा कर असमंजस पर फंसी सरकार
रांची झारखंड हाई कोर्ट के स्तर से नियोजन नीति खारिज होने के बाद जब शिक्षकों की नौकरी जाने का खतरा सामने आ गया तो सरकार ने सभी की नौकरी बचाने का वादा कर दिया। लेकिन अब नियमों के दायरे में सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ गई है। अगर शिक्षकों की नौकरी बचाई गई तो शत-प्रतिशत आरक्षण की बात प्रमाणित हो जाएगी।
रांची : झारखंड हाई कोर्ट के स्तर से नियोजन नीति खारिज होने के बाद जब शिक्षकों की नौकरी जाने का खतरा सामने आ गया, तो सरकार ने सभी की नौकरी बचाने का वादा कर दिया। लेकिन, अब नियमों के दायरे में सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ गई है। अगर शिक्षकों की नौकरी बचाई गई तो शत-प्रतिशत आरक्षण की बात प्रमाणित हो जाएगी। इसके खिलाफ कई ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट फैसले दे चुका है। असमंजस में फंसी सरकार ने इस मसले पर अब महाधिवक्ता से परामर्श मांगा है। महाधिवक्ता के परामर्श के बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। सरकार हाई कोर्ट के फैसले में उन बिदुओं की भी तलाश कर रही है, जिसके आधार पर फैसले का चुनौती दी जा सके।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद महाधिवक्ता राजीव रंजन के परामर्श के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट में सरकार अपील करेगी। सरकार स्पष्ट तौर पर चाहती है कि भले ही नीति खारिज हो जाए, शिक्षकों की नौकरी बची रहे। ऐसे में इस बिदु पर चुनौती देने के लिए मजबूत आधार की भी तलाश है। आधार नहीं मिलने की स्थिति में सरकार के सामने शिक्षकों की नौकरी को बचाना बड़ी चुनौती होगी।
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नीतियों में संशोधन नहीं, नई नीति ही बनेगी :
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्थानीय और नियोजन नीति में संशोधन के लिए कमेटी बनाने की बात कही थी। इसपर कार्मिक विभाग से फाइल सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) तक पहुंचा भी है, लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि जब हाई कोर्ट ने नियोजन नीति को खारिज कर ही दिया है, तो फिर इसमें संशोधन करने की जगह पर नई नीति क्यों ना बनाई जाए। सूत्रों के अनुसार शीघ्र ही नियोजन नीति और स्थानीय नीति को लेकर नई कमेटी बनाई जाएगी, तो संशोधन की जगह पर नई नीति पर ही अपना मंतव्य देगी।
स्थानीय नीति और नियोजन नीति में संशोधन के लिए अब कमेटी की दरकार नहीं। मुख्यमंत्री ने दोनों नीतियों में संशोधन करने का निर्देश दिया था लेकिन हाई कोर्ट के निर्देश के बाद नीतियां फिर से बनानी होंगी, संशोधन से काम नहीं चलेगा।
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