Jharkhand News: हाथियों की मौत पर झारखंड हाई कोर्ट सख्त, पांच साल की रिपोर्ट मांगी
Jharkhand High Court Hindi News अदालत ने इस मामले में फॉरेस्टर सचिन से पूछा है कि जानवरों के संरक्षण और उनकी बढ़ोतरी को लेकर सरकार की क्या योजना है। कोर्ट ने 2 सप्ताह में अदालत में जवाब दाखिल करने के लिए बोला है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में लातेहार जिले में हाथियों की मौत मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। अदालत ने सरकार से पूछा कि राज्य में पिछले पांच वर्षों में कितने हाथियों की मौत हुई। कितनों का पोस्टमार्टम हुआ। कितनों का बिसरा जांच के लिए भेजा गया और उनकी रिपोर्ट आई या नहीं। अदालत ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट दो सप्ताह में अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा कि राज्य में भले ही जंगल में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन जंगलों से वन्य जीव गायब होना दुखद है। जंगल वन्य जीवों के बिना विधवा की तरह हैं। जब सभी जीव जंगल में रहते हैं, तो पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। मामले में अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी। अदालत ने अगली तिथि को वन सचिव को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है। हालांकि कोर्ट के पूर्व निर्देश के आलोक में सुनवाई के दौरान पीसीसीएफ, सीसीएफ और लातेहार के डीएफओ अदालत में आनलाइन हाजिर हुए।
अदालत ने अधिकारियों से कहा कि जानवरों के बिना जंगल नहीं हो सकता। राज्य सरकार बताए कि जानवरों को जंगल में वापस लाने के लिए क्या कार्ययोजना बनी है। हमने विकास करते समय जंगलों का ध्यान नहीं रखा। इसका दुष्परिणाम है कि जंगल में अब जानवर ही नहीं बचे हैं। तीन दिनों तक जानवरों के शव पड़े रहते हैं और उनको खाने वाले एक भी जानवर जंगल में नहीं हैं।
पहले झारखंड के जंगल में टाइगर, ब्लैक पैंथर, लकड़बग्घा, सियार सहित अन्य जीव रहते थे। इससे पता चलता है कि जंगल व जानवरों की रखवाली करने वाले सही से काम नहीं कर रहे हैं। इतनी दयनीय स्थिति है और वन विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि 678 हाथी अभी राज्य में हैं, जो काफी हैं। यह अफसोसजनक है। हर साल 14 से 16 हाथियों की मौत हो रही है। मौत की सही वजह भी पता नहीं चलती। अदालत ने कहा कि हाथियों के लिए कारिडोर बनाना चाहिए था, ताकि उनका आवागमन सुलभ हो।
जंगलों में अवैध खनन का मामला भी उठा
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने जंगलों में अवैध खनन का मुद्दा उठाया। उन्होंने अदालत को बताया कि जंगलों में अवैध खनन भी किया जा रहा है। इस कारण भी वन्य जीव पलायन कर रहे हैं और उनकी संख्या कम हो रही है। अदालत ने इस पर सहमति जताई और कहा कि जब जंगल में खनन होगा तो वहां जानवर कैसे रह सकते हैं।