Jharkhand: नेशनल ला यूनिवर्सिटी को फंड देने में हठ कर रही राज्य सरकार : हाई कोर्ट
National Law University Jharkhand High Court मामले में अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सरकार ने पहले भी कहा है कि वह यूनिवर्सिटी को अतिरक्त फंड नहीं देगी लेकिन कोर्ट ने इसे पहले ही खारिज कर दिया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में गुरुवार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड देने के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की ओर शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि राज्य सरकार अब यूनिवर्सिटी को अतिरिक्त फंड नहीं दे सकती है। यूनिवर्सिटी स्वपोषित है और इसे अपना खर्च खुद वहन करना होगा। इस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए शपथपत्र को असंतोषजनक माना और सरकार के इस आग्रह को खारिज कर दिया।
इसके बाद अदालत ने सरकार को दोबारा शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सरकार ने पहले भी कहा है कि वह यूनिवर्सिटी को अतिरिक्त फंड नहीं देगी, लेकिन कोर्ट ने इसे पहले ही खारिज कर दिया है। बार-बार सरकार यही बात कह रही है। इससे प्रतीत होता है कि सरकार इस मामले में हठधर्मिता दिखा रही है।
दूसरे राज्यों में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को नियमित फंड दिया जाता है। इस कारण झारखंड सरकार को भी इस महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए नियमित फंड देना चाहिए। इस दौरान अदालत ने उस रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड पर लाने का आदेश दिया, जिसमें यूनिवर्सिटी के कुलपति और राज्य सरकार के प्रतिनिधि ने राजीव गांधी लॉ यूनिवर्सिटी का दौरा कर स्थिति की जानकारी ली थी।
नौ सितंबर को होगी अगली सुनवाई
सरकार की ओर से बताया गया कि यूनिवर्सिटी खोलते समय ही यह तय हुआ था कि सरकार इसे एक बार 50 करोड़ का अनुदान देगी। इसके बाद सरकार आर्थिक मदद नहीं करेगी। यूनिवर्सिटी अपना खर्च खुद वहन करेगी। 50 करोड़ देने के बाद फिर यूनिवर्सिटी को 54 करोड़ रुपये दिए गए, जिससे यूनिवर्सिटी ने अपने खर्च और बकाए की भरपाई की है। सरकार की कैबिनेट ने यह निर्णय लिया है कि अब अतिरिक्त राशि नहीं दी जाएगी।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि इस यूनिवर्सिटी में झारखंड के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। ऐसे में सरकार को फंड देना चाहिए। कैबिनेट के निर्णय की जानकारी पहले भी शपथपत्र के माध्यम से दी गई थी, जिसे कोर्ट ने पहले ही नामंजूर कर दिया है। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार से भी पूछा है कि उनकी ओर से संस्था को चलाने के लिए कितनी राशि दी गई है। साथ ही बार एसोसिएशन और यूनिवर्सिटी को सरकार के जवाब पर प्रतिउत्तर देने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी।