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कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर हाई कोर्ट तल्ख, कहीं बिहार जैसे हालात न हो जाएं

शुक्रवार को चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने कहा कि बढ़ता कोरोना संक्रमण चिताजनक है। हालात कहीं बिहार जैसे न हो जाएं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 01:45 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 01:45 AM (IST)
कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर हाई कोर्ट तल्ख, कहीं बिहार जैसे हालात न हो जाएं
कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर हाई कोर्ट तल्ख, कहीं बिहार जैसे हालात न हो जाएं

राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण और जांच रिपोर्ट आने में देरी होने पर चिता जाहिर की है। शुक्रवार को चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने कहा कि बढ़ता कोरोना संक्रमण चिताजनक है। हालात कहीं बिहार जैसे न हो जाएं। सरकार अबतक यह दावा कर रही थी कि कोरोना से निपटने के लिए राज्य में पर्याप्त संसाधन हैं। चिकित्सक व पारा मेडिकल कर्मी भी पर्याप्त हैं। जांच के लिए कई जगहों पर सेंटर बनाए गए हैं। लेकिन हालत यह है कि हाई कोर्ट के कुछ कर्मचारियों के सैंपल 15 जुलाई को ट्रूनेट मशीन से लिए गए हैं, जिसकी रिपोर्ट अबतक नहीं मिली है। जब हाई कोर्ट कर्मियों के सैंपल की जांच की यह हाल है तो राज्य की जनता का क्या होगा?

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हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से हुई बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी हालात से कोरोना संकट से निपटने के लिए तैयार रहने की बात कही थी, लेकिन वर्तमान हालात अव्यवस्था की ओर इशारा कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि राज्य में बढ़ता कोरोना संक्रमण डराने वाला है। सरकार इस पर ध्यान दें। अदालत ने इस दौरान हाई कोर्ट के नए भवन को हाई कोर्ट के तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के लिए तथा गेस्ट हाउस को जजों के लिए आइसोलेशन सेंटर बनाने का सुझाव राज्य सरकार को दिया। साथ ही ज्यूडिशियल एकेडमी के खाली भवन का उपयोग भी आइसोलेशन सेंटर के रुप में करने ककी बात कही। अदालत ने कहा कि सरकार इसके लिए एक प्रस्ताव हाई कोर्ट को भेजे।

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राज्य सरकार की दलील

इधर राज्य सरकार ने अपने जवाब में अदालत को बताया कि कोरोना संक्रमण की जांच में तेजी लाई जा रही है, लेकिन रिम्स व इटकी जांच केंद्र में जांच करने वाले कर्मी ही संक्रमित हो गए। इस वजह से दोनों सेंटर को सैनिटाइज करने के लिए दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया था। इस कारण जांच रिपोर्ट आने में देर हो रही है। जहां तक हाई कोर्ट के कर्मियों की जांच रिपोर्ट की बात है तो रिपोर्ट तैयार करने में इसलिए देरी हुई क्योंकि संदेह होने पर पांच कर्मियों के सैंपल की जांच दोबारा की गई। बता दें कि यह मामला शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं था। इससे इतर एक दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता से कहा कि आज यह मामला सुनवाई के लिए नहीं है, इसलिए हम इस पर कोई न्यायिक आदेश नहीं दे रहे हैं, लेकिन हालात को देखते हुए अपनी चिता से सरकार को अवगत करा रहे हैं। उम्मीद है कि 31 जुलाई को संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सरकार वस्तुस्थिति की पूरी जानकारी देगी।

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