हेमंत सरकार पर हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, रांची हिंसा की जांच के प्रति सरकार गंभीर नहीं, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
Ranchi Violence झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। कहा है कि सरकार रांची हिंसा की जांच के प्रति गंभीर नहीं है। कोर्ट ने एनआइए से प्रारंभिक रिपोर्ट मांगी है। वहीं एसएसपी को हटाए जाने पर डीजीपी व गृह सचिव से जवाब मांगा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Ranchi Communal Violence रांची हिंसा मामले में दाखिल याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि ऐसा पता चला है कि एनआइए ने इस मामले में प्रारंभिक जांच की है। इसलिए उक्त रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में जमा किया जाए। इसके अलावा एनआइए शपथपत्र दाखिल कर यह बताए कि क्या वह इस मामले की जांच कर सकती है या नहीं। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जांच को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि वह इस मामले में गंभीर नहीं है। इसलिए इसकी जांच एनआइए को सौंपी जा सकती है।
एसएसपी के तबादले की क्या मजबूरी थी
अदालत ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई कि जब रांची एसएसपी इस घटना में शामिल थे तो जांच के दौरान उनका ट्रांसफर क्यों कर दिया गया। झारखंड सरकार को ऐसी क्या मजबूरी थी। इसके अलावा इस मामले में सीसीटीवी फुटेज के हार्ड डिक्स को जब्त नहीं किया गया है, ऐसे में उससे छेड़छाड़ होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो पेन ड्राइव में रखे फुटेज का क्या विश्वसनीयता रहेगी।
राज्य सरकार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया
अदालत ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई कि जब कोर्ट ने 10 बिंदुओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था तो उन्होंने स्पष्ट जवाब क्यों नहीं दिया है। इस मामले की जांच सीआइडी के डीएसपी से कराए जाने पर भी कोर्ट नाराज हुआ और टिप्पणी करते हुए कहा कि इतने गंभीर मामले की जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी से कराना कहां तक उचित है। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति विशेष को बचाने का प्रयास कर रही है। क्योंकि इतनी बड़ी घटना बिना सुनियोजित तरीके से करना संभव नहीं है इसमें बड़े पैमाने पर षड्यंत्र शामिल हो सकता है। अदालत ने इस मामले में राज्य के डीजीपी और गृह सचिव को स्वयं शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
भाजपा नेत्री के बयान के बाद भड़की हिंसा
मालूम हो कि भाजपा नेत्री नुपुर शर्मा द्वारा इस्लाम धर्म के पैगंबर के खिलाफ एक विवादित बयान दिया गया था। इस बयान के बाद देश भर में प्रदर्शन, हिंसा और उपद्रव की घटनाएं होने लगीं। राजस्थान में जहां एक व्यक्ति की गला रेतकर हत्या कर दी गई, वहीं रांची में जुमे की नमाज के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हिंसक झड़प हो गई थी। इस झड़प के दौरान पुलिस फायरिंग से दो लोगों की मौत हो गई थी। प्रशासन को रांची जिले में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाना पड़ गया था। शहर दो दिनों तक बंद रहा। इस हिंसा के बाद राज्यपाल रमेश बैस ने पुलिस अधिकारियों को राजभवन तलब कर जवाब तलब किया था। इतना ही नहीं पुलिस को सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था। जांच में यह बात सामने आई थी कि बाहर से आए कुछ असामाजिक तत्वों ने हिंसा को अंजाम दिया। पुलिस ने इस मामले में कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। कई लोग इस हिंसा में घायल भी हुए थे। शहर में इस घटना के बाद सांप्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।