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World Mental Health Day 2019: बच्चों में अवसाद का सबसे बड़ा कारण है मोबाइल

World Mental Health Day 2019 पर सेमिनार में कहा गया कि एक-दूसरे से बातें करने तथा साथ काम करने से आत्महत्या की घटनाओं में 90 फीसद तक कमी लाई जा सकती है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 12:52 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 09:08 PM (IST)
World Mental Health Day 2019: बच्चों में अवसाद का सबसे बड़ा कारण है मोबाइल
World Mental Health Day 2019: बच्चों में अवसाद का सबसे बड़ा कारण है मोबाइल

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। World Mental Health Day 2019 विभिन्न कारणों से आत्महत्या करनेवालों में सबसे अधिक युवा वर्ग होते हैं। भारत में 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के लोग सबसे अधिक आत्महत्या करते हैं। मिलकर काम करने तथा एक-दूसरे की परेशानियां समझने से आत्महत्या की दर में 90 फीसद तक कमी लाई जा सकती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे के अवसर पर गुरुवार को आयोजित एक कार्यशाला में ये बातें कही गईं।

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बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की समस्या पर चर्चा के दौरान कहा गया कि बच्चों में अवसाद का सबसे बड़ा कारण मोबाइल बन रहा है। कार्यशाला को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा कि भारत में आत्महत्या के आंकड़े ज्यादा हैं। वहीं, झारखंड में जमशेदपुर में आत्महत्या करने की दर सबसे अधिक है।  सामाजिक दूरी बढऩे से आत्महत्या की समस्या बढ़ रही है। इसलिए हमें अपने मन की बातों को शेयर करने की आदत डालनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग मानसिक स्वास्थ्य की एक थेरेपी है। लेकिन, किसी व्यक्ति को मनोरोग चिकित्सक के पास काउंसिलिंग के लिए जाने पर अन्य लोगों को लगता है कि उसकेदिमाग की हालत ठीक नहीं है। आज इस सोच से बाहर निकलने की जरूरत है। उन्होंने स्कूलों की प्रार्थना सभा में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा  पर जोर दिया।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के निदेशक डॉ. शैलेश कुमार चौरसिया ने कहा कि वेलनेस स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत इसलिए की गई है, ताकि काम के दौरान मानसिक रूप से थकान से बचा जा सके। रिम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजय बाखला ने कहा कि पूरे विश्व की 17.8 फीसद आत्महत्या भारत में होती है। बता दें कि इस वर्ष का वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे का थीम आत्महत्या से बचाव के लिए साथ काम करना था।

समय से पहले और देर से गर्भ से बच्चों में अधिक खतरा

केंद्रीय मनोविज्ञान संस्थान (सीआइपी), कांके के विभागाध्यक्ष डॉ. निशांत गोयल के अनुसार, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के रिस्क फैक्टर में गरीबी के अलावा माता-पिता या परिवार के किसी अन्य नजदीकी सदस्य की मौत भी शामिल है। समय से पहले तथा समय के काफी बाद गर्भ ठहरने से भी संबंधित बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य खराब होने का कारण हो सकता है। परिवार के टूटने से भी बच्चों में यह खतरा रहता है।

आत्महत्या के मामले

फंदे से लटककर : 10 से 72 फीसद

जहर खाकर : 16 से 49 फीसद

डूबकर : 03 से 39 फीसद

जलकर : 06 से 57 फीसद

कूदकर : 0.5 से दो फीसद।


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