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सुप्रीम कोर्ट जाकर कहीं दुविधा में ना फंस जाए झारखंड सरकार, 1932 के खतियान को लेकर आएगी परेशानी

राज्य सरकार स्थानीय नीति में संशोधन करने की मंशा जाहिर कर चुकी है और इसके आधार पर तैयार नियोजन नीति में भी बदलाव होगा लेकिन इसमें अभी कई अड़चन हैं। हाई कोर्ट ने नियोजन नीति को सिरे से खारिज करते हुए इस आधार पर हुई बहालियों...

By Vikram GiriEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 10:11 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 10:11 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट जाकर कहीं दुविधा में ना फंस जाए झारखंड सरकार, 1932 के खतियान को लेकर आएगी परेशानी
सुप्रीम कोर्ट जाकर कहीं दुविधा में ना फंस जाए झारखंड सरकार। जागरण

रांची (राज्य ब्यूरो) । राज्य सरकार स्थानीय नीति में संशोधन करने की मंशा जाहिर कर चुकी है और इसके आधार पर तैयार नियोजन नीति में भी बदलाव होगा, लेकिन इसमें अभी कई अड़चन हैं। हाई कोर्ट ने नियोजन नीति को सिरे से खारिज करते हुए इस आधार पर हुई बहालियों को रद कर दिया है। अब सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की बातें कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो नीति को कहीं ना कहीं सही ठहराना होगा। ऐसा होने की स्थिति में राज्य सरकार के सामने नीति को बदलने के फैसले पर विचार करना होगा। सवाल यह भी उठ रहा है कि झामुमो पहले से ही 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता को परिभाषित करना चाहता है।

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इस वादे को पूरा करने के लिए सरकार ने कमेटी गठन का फैसला भी लिया है। लेकिन अभी कमेटी के स्वरूप को भी तय नहीं किया गया है। मामला मुख्यमंत्री के पास है। सरकार के सामने बड़ी दुविधा यह है कि वह नियोजन नीति का समर्थन करे अथवा इसका विरोध करते रहे। शिक्षकों की नौकरी को बचाने के लिए हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की स्थिति में जाहिर तौर पर नीतियों को सही ठहराना होगा।

ऐसे में स्थानीय नीति के आधार पर तैयार नियोजन नीति के पक्ष में सरकार खड़ी होगी। इस स्थिति से बचने के लिए उपाय की भी तलाश हो रही है। सरकार के सामने 2016 की नियोजन नीति को बदलने की चुनौती बरकरार है। हालांकि, कार्मिक विभाग के सूत्रों की मानें तो मध्य मार्ग निकालने की भी पूरी कवायद हो रही है। उधर झामुमो का कहना है कि सरकार सही दिशा में निर्णय लेगी। इन तमाम मसलों पर पार्टी का रुख आरंभ से स्पष्ट है। झामुमो के लिए राज्य और यहां के लोगों का हित सबसे ऊपर है।


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