Jharkhand: 'अंकों के खेल' में झारखंड के बच्चे कमजोर, जोड़-घटाव के प्रश्नों में उलझ रहे एक तिहाई स्टूडेंट्स
Jharkhand Education निपुण भात मिशन के तहत झारखंड के 2059 सरकारी स्कूलों में सर्वेक्षण किया गया। जिसमें सामने आया कि 34 प्रतिशत बच्चे जोड़ के आधे हिसाब नहीं बना पाते हैं। वहीं 44 प्रतिशत बच्चे घटाव के आधे हिसाब भी नहीं कर पाते।
नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले एक तिहाई से अधिक बच्चे गणित में कमजोर हैं। हाल ही में राज्य सरकार की ओर से बुनियादी साक्षरता और बुनियादी गणितीय क्षमता को लेकर कराए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।
निपुण भात मिशन के तहत यह अध्ययन राज्य के 2,059 स्कूलों के 34,745 बच्चों के बीच स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से कराया गया था। स्कूलों में कराए गए बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान-2022 सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों में कक्षा दो के 34 प्रतिशत बच्चे अपनी कक्षा के अनुरूप जोड़ के आधे हिसाब हल नहीं कर पाते।
इसी तरह, 44 प्रतिशत बच्चे घटाव के आधे हिसाब नहीं बना पाते। इसी तरह दूसरी कक्षा के 90 प्रतिशत बच्चे कक्षा एक के स्तर के जोड़ के आधे से अधिक प्रश्न तो हल कर लेते हैं, लेकिन अपनी कक्ष (कक्षा दो) के स्तर के केवल 66 प्रतिशत बच्चे ही आधे से अधिक प्रश्न हल कर पाते हैं।
कक्षा दो के बच्चे जोड़ में भी अटके
इसी तरह, दूसरी कक्षा के 83 प्रतिशत बच्चे कक्षा एक के स्तर के घटाव के आधे से अधिक प्रश्न तो हल कर लेते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा दो के 80 प्रतिशत बच्चे कक्षा एक के जोड़ के सभी प्रश्नों को हल कर लेते हैं, जबकि 37 प्रतिशत बच्चे ही अपनी कक्षा (कक्षा दो) के जोड़ के सभी प्रश्न हल कर पाते हैं।
71 प्रतिशत बच्चे कक्षा एक के स्तर के घटाव के सभी प्रश्न हल कर लेते हैं, जबकि 20 प्रतिशत बच्चे ही अपनी कक्षा के घटाव के सभी प्रश्न हल कर पाते हैं।
भारत सरकार ने निपुण भारत मिशन के तहत साल 2026-27 तक कक्षा तीन तक के विद्यार्थियों के अपने कक्षा के स्तर के सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान का लक्ष्य रखा है।
दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान (एफएलएन) को सीखने की पहली और आवश्यक शर्त माना गया है। कहा गया है कि यदि यह लक्ष्य हासिल नहीं किया गया तो बाकी नीतियां काफी हद तक निष्फल हो जाएंगी।
इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार ने साल 2021 में निपुण भारत मिशन की शुरुआत की। इस मिशन के तहत साल 2026-27 तक कक्षा तीन के सभी बच्चों में भाषा और गणित से संबंधित बुनियादी साक्षरता और बुनियादी गणितीय क्षमता सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।
बच्चों के विकास के लिए ये हैं लक्ष्य
पहला लक्ष्य यह है कि बच्चे अच्छे स्वास्थ्य और विकास को प्राप्त कर सकें। वहीं, दूसरा लक्ष्य बच्चे प्रभावी संवाद स्थापित करने में निपुण बनें और तीसरा लक्ष्य है कि बच्चे अपने वातावरण से जुड़ते हुए सीखने की प्रक्रिया में शामिल हो सकें।
इन लक्ष्यों को पहले अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन (ईसीई) के तीन साल और उसके अगले तीन साल (कक्षा एक से तीन) की बुनियादी स्कूल शिक्षा के रूप में स्तरों में विभाजित किया गया है।