नहीं बढ़ेगा SC/ST और OBC का आरक्षण, हवा में उड़ा झामुमो का चुनावी वादा
राज्य सरकार फिलहाल सरकारी या निजी क्षेत्र में होने वाली नियुक्तियों और शिक्षण संस्थानों में सभी वर्गों के लिए आरक्षण का प्रतिशत नहीं बढ़ाएगी।
रांची, [प्रदीप सिंह]। राज्य सरकार फिलहाल सरकारी या निजी क्षेत्र में होने वाली नियुक्तियों और शिक्षण संस्थानों में सभी वर्गों के लिए आरक्षण का प्रतिशत नहीं बढ़ाएगी। कार्मिक विभाग ने इस बाबत स्थिति स्पष्ट की है। विधानसभा में आजसू पार्टी प्रमुख सुदेश कुमार महतो के ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल राज्य में अनुसूचित जनजाति को 26 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 10 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग अनुसूची-एक को आठ प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग अनुसूची-दो को छह प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों के वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देती है। इसका प्रावधान झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं पिछड़े वर्गों के लिए) (संशोधन) अधिनियम-2019 के तहत किया गया है।
पूर्व के फैसले का हवाला, हाई कोर्ट ने किया था संशोधित
कार्मिक विभाग ने स्पष्ट किया है कि 2001 में मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने 73 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की थी। इसके तहत अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत एवं पिछड़ा को नौ प्रतिशत आरक्षण की अनुशंसा की गई थी। झारखंड उच्च न्यायालय ने रजनीश मिश्रा बनाम राज्य सरकार एवं दिनेश नीरज शर्मा बनाम यूनियन आफ इंडिया मामले में झारखंड में पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण 50 प्रतिशत सीमित रखे जाने का अंतरिम आदेश पारित किया था। इसके बाद अनुसूचित जनजाति को 26 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 10 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (अत्यंत पिछड़ा वर्ग एवं पिछड़ा वर्ग की समेकित कोटि मानकर) को 14 प्रतिशत यानी 50 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया।
विधानसभा चुनाव में तमाम प्रमुख दलों ने किया था वादा
कार्मिक विभाग ने आरक्षण का दायरा नहीं बढ़ाने को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दिया है, लेकिन हालिया विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा समेत तमाम दलों ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने का वादा किया था। इसमें पिछड़ों का आरक्षण 27 प्रतिशत करने का वादा जोरशोर से उछाला गया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आदिवासियों को 28 प्रतिशत, पिछड़ों को 27 प्रतिशत और दलितों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की थी।