मयखानों से तौबा : अब शराब नहीं बेचेगी रघुवर सरकार, पुरानी व्यवस्था पर यूटर्न
Liquor Sale. कैबिनेट में हुए फैसले की मानें तो अब जल्द ही राज्य में शराब बिक्री की पुरानी व्यवस्था लागू होगी। इससे 11 फीसद राजस्व की क्षति हो चुकी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य में शराब बिक्री पर सरकार ने यू टर्न लिया है। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर शराब की बिक्री खुद अपने स्तर से किए जाने से उपजे परिणाम और गत वित्तीय वर्ष की तुलना में अब तक 11 फीसद राजस्व की क्षति के बाद अब शराब बिक्री की पुरानी व्यवस्था को बहाल करने का निर्णय तकरीबन ले लिया गया है।
गुरुवार को राज्य कैबिनेट ने इस बाबत पहला कदम उठाते हुए राज्य में खुदरा बंदोबस्ती की ई-लाटरी विधि से करने का निर्णय लिया। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि उत्पाद दुकानदारों की बंदोबस्ती की ई-लाटरी विधि से निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से संपन्न कराने के लिए एनईएमएल का मनोनयन करने के लिए वित्त नियमावली के नियम 245 के तहत नियम 235 को शिथिल करने की मंजूरी दी गई।
जेएसबीसीएल ने दी थी प्रतिकूल रिपोर्ट : शराब बेचने से राजस्व में हो रहे घाटे से चिंतित सरकार को इस बाबत जेएसबीसीएल ने प्रतिकूल रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें कहा गया था कि झारखंड में शराब व्यापार के लिए पुराने तरीके पर वापस लौटना श्रेयस्कर है। उत्पाद शुल्क और निषेध विभाग और निगम के शीर्ष स्रोतों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को इस बारे में जरूरी जानकारी दी थी। ऐसे में दो-तीन माह पहले से ही संभावना जताई जा रही थी कि शराब की बिक्री अगले वित्तीय वर्ष से सकारात्मक रूप से निजी हाथों में चली जाएगी।
बताया गया कि यह मामला चर्चा के लिए जेएसबीसीएल के निदेशक मंडल के समक्ष कई मौकों पर आया था। बाद में बोर्ड में सर्वसम्मति बनी थी कि राज्य में शराब बेचने का काम सरकार या निगम का नहीं है। साथ ही, समय के साथ शराब दुकानों का प्रबंधन भी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन रहा था। ऐसे में इस बोझ से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने अब यूटर्न का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है। संभव है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 की शुरुआत से शराब की बिक्री निजी हाथों में चली जाएगी, जिसे नीलामी के जरिये अलग-अलग एजेंसियों को सौंपा जाएगा। जेएसबीसीएल के प्रबंध निदेशक भोर सिंह यादव ने कहा कि यह सच है कि राज्य में शराब की बिक्री की पिछली विधि को अपनाने का निर्णय लिया गया है। सरकार को शराब बेचने के धंधे में लगभग 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हालांकि पिछले साल की तुलना में बिक्री बढ़ी है। उन्होंने कहा कि शराब की खपत में कोई गिरावट नहीं आई है ।