Move to Jagran APP

साहब की पीड़ा... कोरोना वायरस से अधिक पुलिसवाले के डंडे का डर

Lockdown Update News. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ये भी शामिल हैं। अब इन्हें इस बात की पीड़ा है कि इनकी मेहनत को कोई पहचान नहीं मिल रही।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 12:21 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 05:21 PM (IST)
साहब की पीड़ा... कोरोना वायरस से अधिक पुलिसवाले के डंडे का डर
साहब की पीड़ा... कोरोना वायरस से अधिक पुलिसवाले के डंडे का डर

रांची, [नीरज अंबष्ठ]। कोरोना के योद्धा केवल डॉक्टर, पारामेडिकल स्टाफ या सफाई कर्मी ही नहीं कई और भी हैं। परोक्ष रूप से ही सही, लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वे भी शामिल हैं। जी हां! बड़े साहबों की सेल में काम करनेवाले कई लोग कोरोना की जंग में शामिल हैं। उनके बिना उनके साहब का नहीं चलता। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उनके साहब सेनापति बने हैं तो ये भी सेना से कम नहीं हैं।

loksabha election banner

भले ही रोस्टर में ड्यूटी लगी हो, लेकिन ड्यूटी तो करनी ही पड़ रही है। घर पर भी हों तो टास्क मिलना जारी रहता है। ऑफिस जाने में कोरोना से अधिक पुलिसवाले के डंडे का डर रहता है। जो भी हो, बस समझिए कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ये भी शामिल हैं। अब इन्हें इस बात की पीड़ा है कि इनकी मेहनत को कोई पहचान नहीं मिल रही। हम तो कहेंगे पीड़ा सही है।

बढ़ गई धुकधुकी

कोरोना ने बड़े-बड़े काम ठप कर दिए। नौनिहालों की पढ़ाई ठप हो गई तो मंदिरों में भी लॉकडाउन हो गया। राज्यसभा चुनाव भी टलना था, सो टल गया। अब संसद पहुंचने का सपना देख रहे नेताजी की धुकधुकी बढ़ गई है एक नेता जी तो निश्चिंत बैठे हैं क्योंकि उनका वहां पहुंचना तय है। अलबत्ता उजाला फैलानेवाले नेताजी को समय काटे नहीं कट रहा। ऊपर से लॉकडाउन।

वहीं, बलि का बकरा बन रहे नेताजी को थोड़ी राहत मिली है। वैसी ही राहत जैसी किसी कमजोर छात्र को परीक्षा या उसके परिणाम के टलने पर होती है। वैसे नेताजी इस उम्मीद में भी हैं कि कहीं कोई रास्ता निकल जाए। जो भी हो, देखना है कि इंतजार कितना करना पड़ता है। अभी तो सभी उन्हें समझा गए हैं कि इंतजार का फल मीठा ही होगा लेकिन नेताजी भी पुराने खिलाड़ी हैं। वे सब बात समझते हैं।

कहां गए वो दिन....

कुछ साहबों और बाबुओं के लिए मार्च का महीना खास होता था। लक्ष्मी जी की कृपा इस माह कुछ अधिक ही बरसती थी। खजाना संभालने वाले और उससे माल निकालने की हरी झंडी देनेवाले साहब लोगों पर तो बिना उपासना के ही यह कृपा बरसती थी, लेकिन इस बार इस कलमुंहे वायरस ने सारा खेल बिगाड़ दिया है। जो मिलना था वो मिला नहीं और जिस उम्मीद पर आगे की बुकिंग कर ली थी उसका तकादा शुरू हो गया।

कहीं फ्लैट तो कहीं होटल और फर्नीचर बदलने की योजना तो कई ने बना ली थी। मौका देखकर एडवांस भी दे दिए थे, लेकिन अब डिलीवरी लेने से भाग रहे हैं। भागें भी क्यों नहीं, आखिर सारी संभावनाओं पर ताला जो लग गया है। इंतजार में हैं कि कब स्थिति सामान्य हो और एक बार फिर से लक्ष्मी मैया की उन पर कृपा बरसनी शुरू हो जाए।

माननीय की दरियादिली

जब देश या राज्य किसी संकट में होता है तो हम सभी एक हो जाते हैं। क्या नेता, क्या शिक्षक और क्या आम आदमी। कई मौके आए हैं जब सभी ने संकट का सामना एकजुटता से किया है। दूसरों की सहायता के लिए लोग अपनी झोलियां भी खोल देते हैं। ऐसी ही दरियादिली अभी कई माननीय भी दिखा रहे हैं। कोई 25 लाख तो कोई 50 लाख। एक करोड़ तक की भी घोषणा हुई है।

यह काफी सराहनीय भी है। फिलहाल तो ये घोषणाएं किसी खास फंड से देने की हो रही हैं। उम्मीद है आगे माननीय कुछ अपने फंड से भी निकालेंगे। कोई वेतन से देगा तो कोई अपनी बचत से। जनता का पैसा जनता में बांटकर कुछ कमाई तो होनी नहीं है। आखिर पब्लिक तो सब जानती है। हम तो यही कहेंगे कि अपने घर से कुछ ही सही, संकट की घड़ी में जरूर लगाइए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.