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Jharkhand: यहां तो मौत का कारण भी सरकार को पता नहीं, कैसे बने योजनाएं बेहतर

Jharkhand Government News पूरे देश में सबसे कम झारखंड में मृत्यु के कारणों का चिकित्सीय प्रमाणीकरण होता है। राज्य में 4.6 फीसद मृत्यु का ही प्रमाणीकरण होता है। गोवा में 100 फीसद है

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 12:23 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 12:25 PM (IST)
Jharkhand: यहां तो मौत का कारण भी सरकार को पता नहीं, कैसे बने योजनाएं बेहतर
Jharkhand: यहां तो मौत का कारण भी सरकार को पता नहीं, कैसे बने योजनाएं बेहतर

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने, इसके लिए योजनाएं तैयार करने तथा चिकित्सा से संबंधित शोध में स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़े बड़े काम के होते हैं। खासकर किसी प्रदेश में होनेवाली मौत के आंकड़े। इन आंकड़ों के आधार पर ही केंद्र व राज्य सरकारें स्वास्थ्य की बेहतरी की रणनीति तैयार करती हैं तथा योजनाएं लागू करती हैं।

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इसी उद्देश्य को लेकर लागू जन्म एवं मृत्यु निबंधन अधिनियम, 1979 के तहत अस्पतालों में होनेवाली मृत्यु के कारणों का चिकित्सीय प्रमाणीकरण (सर्टिफिकेशन) अनिवार्य है ताकि पता चले कि किसी व्यक्ति की मृत्यु किस बीमारी से हुई। इसमें झारखंड की स्थिति काफी बदतर है। पूरे देश में मृत्यु के कारणों का चिकित्सीय प्रमाणीकरण सबसे कम झारखंड में होता है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में इसका जिक्र है।

केंद्र द्वारा संचालित मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉज ऑफ डेथ (एमसीसीडी) कार्यक्रम के तहत सभी मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणीकरण किया जाता है, जिसमें मौत के कारणों का स्पष्ट रूप से जिक्र होता है। इसके लिए अस्पतालों में फार्म-4 तथा अस्पताल के बाहर होनेवाली मौत में 4-ए फार्म भरे जाते हैं। यह प्रमाणीकरण उस चिकित्सक द्वारा किया जाता है जो किसी मरीज की मृत्यु के समय उपस्थित होता है।

रिपोर्टिंग के लिए सभी सरकारी व निजी अस्पतालों के चीफ मेडिकल ऑफिसर को रजिस्ट्रार बनाया गया है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही तथा रिपोर्टिंग के सिस्टम लगभग ध्वस्त होने के कारण झारखंड में महज 4.6 फीसद मृत्यु के कारणों का ही प्रमाणीकरण हो पाता है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने वर्ष 2018 में हुई मौत के कारणों के चिकित्सीय प्रमाणीकरण के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की।

इसमें यह बात सामने आई कि गोवा में 100 फीसद मौत का प्रमाणीकरण होता है। कई अन्य राज्य व केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां 70 फीसद से अधिक मौत का प्रमाणीकरण होता है। हालांकि कई राज्यों की स्थिति इसमें ठीक नहीं है। ङ्क्षचता की बात यह है कि पूरे देश में 10 राज्यों में चिकित्सीय प्रमाणीकरण की दर में गिरावट आई है जिनमें झारखंड भी शामिल है।

कहां कितना मृत्यु का चिकित्सीय प्रमाणीकरण (आंकड़े प्रतिशत में)

गोवा : 100, लक्षद्वीप : 94.9, दमन एंड दीव : 90.8, पुडुचेरी : 74.0, चंडीगढ़ : 71.8, दिल्ली : 62.3, अंडमान निकोबार : 59.5, मिजोरम : 58.9, दादर एवं नगर हवेली : 54.0, मणिपुर : 51.4, तमिलनाडु : 45.0, मेघालय : 43.1, सिक्किम : 42.5, तेलंगाना : 37.4, महाराष्ट्र : 34.8, अरुणाचल प्रदेश : 32.9, कर्नाटक : 31.1, नगालैंड : 28.7, गुजरात : 23.4, त्रिपुरा : 22.3, हरियाणा : 20.4, छत्तीसगढ़ : 19.0, पंजाब : 17.3, हिमाचल प्रदेश : 15.0, आंध्रप्रदेश : 14.9, बिहार : 13.6, राजस्थान : 13.1, पश्चिम बंगाल : 12.9, असम : 12.0, केरल : 11.9, उत्तराखंड : 11.1, ओडिशा : 11.1, मध्य प्रदेश : 10.5, उत्तर प्रदेश : 7.3, झारखंड : 4.6


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