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दैनिक जागरण के 'कितना-कितना पानी' को मिला बड़ा फलक, जल संचयन को सरकार का साथ

झारखंड में जल की उपलब्धता बढ़ाने व जल संचयन के लिए मुख्‍य सचिव ने छह विभागों को पत्र लिख कर दैनिक जागरण के साथ मिलकर काम करने का सुझाव दिया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 08:21 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 04:42 PM (IST)
दैनिक जागरण के 'कितना-कितना पानी' को मिला बड़ा फलक, जल संचयन को सरकार का साथ
दैनिक जागरण के 'कितना-कितना पानी' को मिला बड़ा फलक, जल संचयन को सरकार का साथ

रांची, राज्य ब्यूरो। 22 मार्च को विश्व जल दिवस के मौके पर जल संचयन को लेकर शुरू हुए 'दैनिक जागरण' के 'कितना-कितना पानी' अभियान को राज्य सरकार ने बड़ा फलक प्रदान किया है। जागरण की इस पहल की सरकार ने न सिर्फ मुक्त कंठ से तारीफ की है, बल्कि मुख्य सचिव ने जल संचयन के दारोमदार संभालनेवाले छह विभागों वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन, नगर विकास एवं आवास, पेयजल एवं स्वच्छता, भवन निर्माण तथा कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग को पत्र लिखा है।

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संबंधित विभागों को उन्होंने झारखंड में जल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए समेकित कार्रवाई करने तथा जागरूकता अभियान चलाने को कहा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से विभागीय सचिवों का ध्यान जल संचयन के कई उपायों की ओर भी आकृष्ट कराया है। इसी के अनुरूप कार्रवाई करने की नसीहत दी है। इसी कड़ी में उन्होंने संबंधित विभागों को जल संरक्षण को लेकर विस्तृत कार्ययोजना बनाने तथा इस दिशा में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने को कहा है, जो जल संचयन, संरक्षण तथा उसकी रिसाइक्लिंग में प्रभावी भूमिका निभा सके। साथ ही पानी को लेकर दैनिक जागरण की विशेष पहल में सहभागी बनने का सुझाव दिया है। 

पत्र का मजमून
'दैनिक जागरण' द्वारा जल संचयन कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इसके तहत प्रचार-प्रसार के जरिए आम लोगों को संवेदनशील बनाने तथा जल संचयन के प्रति व्यापक जागरुकता लाने की कोशिश होगी। जल संचयन/जल संरक्षण को लेकर प्रारंभ किए गए इस अभियान में 'दैनिक जागरण' नवयुवकों एवं स्कूली बच्चों को जल के सही उपयोग के लिए प्रेरित करेगा। राज्य सरकार के विभाग 'दैनिक जागरण' से मिलकर इस दिशा में कार्य कर सकते हैं। इस प्रकार के जन जागरुकता अभियान समाचार पत्र के साथ मिलकर चलाए जा सकते हैं। 

सचिवों को मुख्य सचिव की नसीहत

  • जल संरक्षण को केंद्र में रखकर ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से चेकडैम, तालाब, डोभा आदि का निर्माण कराया जाए।
  • सिंचाई के स्रोतों तथा नहरों के जीर्णोद्धार एवं मरम्मत का कार्य किया जाए।
  • जलछाजन की पर्याप्त योजनाओं के क्रियान्वयन पर करें फोकस।
  • ड्रिप इरिगेशन तथा माइक्रो इरिगेशन पर करें फोकस।
  • किसी भी तालाब में कंक्रीट की बाउंड्री वाल नहीं बनाई जाए। किसी भी जल स्रोत के बारे में कोई भी विकास मात्र अभियंताओं के माध्यम से न कराकर इसमें पर्यावरणविदों की राय भी शामिल की जाए।
  • राज्य के शहरी स्थानीय निकायों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के विशेषज्ञों को रखा जाए, जो आम जनता को इस संबंध में निश्शुल्क तकनीकी सहायता उपलब्ध करा सके।
  • शहरों में तालाब, नदी एवं खुले हरित स्थलों के साथ किसी भी कीमत पर छेड़छाड़ नहीं की जाए। कंक्रीट का प्रयोग इन संरचनाओं में न के बराबर हो।

जलाशयों के कैचमेंट एरिया पर नहीं होगा निर्माण
मुख्य सचिव ने राजधानी रांची स्थित तीन जलाशयों के कैचमेंट एरिया में निर्माण कार्यों पर तत्काल रोक लगाने तथा अवैध निर्माणों को तोडऩे का निर्देश दिया है। उन्होंने आवश्यकता के मुताबिक डैम से गाद हटाने का भी निर्देश दिया है।

(राजधानी रांची के चेंबर भवन में 14 मई को आयोजित दैनिक जागरण के 'जल संसद' कार्यक्रम में मौजूद शहर के गणमान्य लोगों ने जल संरक्षण को लेकर अपने सुझाव मुख्य सचिव से साझा किए थे। मुख्य सचिव इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। ) 

शहरी क्षेत्रों में जल संचयन अनिवार्य करने का टास्क
मुख्य सचिव ने शहरी क्षेत्रों में जल संचयन को अनिवार्य करने का टास्क अफसरों को सौंपा है। उन्होंने इससे संबंधित संरचनाओं की डिजाइन के विभिन्न बिंदुओं पर विचार करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि  निर्माणाधीन नालियों तथा सड़कों में कई स्थानों पर ड्रेन की ऐसी व्यवस्था हो, जिससे वर्षा जल भूमिगत हो सके। पार्क, सरकारी भवन, व्यावसायिक एवं आवासीय कॉलोनियों में जल भंडारण के लिए भूमिगत संरचना बनाई जाए तथा उसका प्रयोग पेड़-पौधों की सिंचाई एवं अन्य प्रयोगों में किया जाए। 

पानी की बर्बादी रोके नगर विकास एवं आवास विभाग
मुख्य सचिव ने नगर विकास एवं आवास विभाग को पानी की बर्बादी रोकने तथा उसकी रिसाइक्लिंग का मजबूत तंत्र विकसित करने को कहा है। आरओ से निकले पानी तथा वाश वेसिन और स्नान के क्रम में बहने वाले बेकार पानी का उपयोग टॉयलेट फ्लशिंग व पौधों की सिंचाई में कराना सुनिश्चित करने को कहा है। 

रांची के लिए तलाशें नए जल स्रोत, यूकेलिप्टस के पेड़ हटाएं
मुख्य सचिव ने रांची शहर की बढ़ती आबादी और भविष्य में पानी की मांग को देखते हुए नए जल स्रोत तलाशने तथा वहां से पानी लाने की कार्ययोजना तैयार करने का टास्क जल संसाधन विभाग को सौंपा है। साथ ही शहरी क्षेत्र से यूकेलिप्टस के पेड़ हटाने तथा जल को संरक्षित करनेवाले पौधे योजनाबद्ध तरीके से लगाने को कहा है।


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