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Jharkhand: नियमावलियों में त्रुटि से लटकती रही हैं बहालियां, एक परीक्षा पूरी होने में लग गए 5 साल

Recruitment in Jharkhand Government नियुक्ति के अधिसंख्य मामले झारखंड हाईकोर्ट में जाते हैं। पांच वर्षों में भी पारा मेडिकल कर्मियों की नियुक्ति दोबारा शुरू नहीं हो पाई। इधर दो साल के बाद प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति रद हो गई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 01:12 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 01:56 PM (IST)
Jharkhand: नियमावलियों में त्रुटि से लटकती रही हैं बहालियां, एक परीक्षा पूरी होने में लग गए 5 साल
निबंधन कार्यालय में बेरोजगार युवकों की लगी लंबी कतार।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड में विभिन्न विभागों द्वारा लागू की जानेवाली नियमावलियों में त्रुटि होने के कारण राज्य में होनेवाली बहालियां लटकती रही हैं। नियमावलियों में त्रुटि के कारण ही नियुक्ति से संबंधित अधिसंख्य मामले हाईकोर्ट में चले जाते हैं। इससे नियुक्ति प्रक्रिया में देरी होती है और कई बार नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक भी लग जाती है। नियमावली में बार-बार बदलाव करने तथा त्रुटिपूर्ण नियमावली बनाने के कारण ही झारखंड लोक सेवा आयोग की छठी सिविल सेवा परीक्षा पूरी होने में पांच साल लग गए।

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इस क्रम में इसकी प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम तीन-तीन बार जारी करने पड़े। कोर्ट के आदेश पर ही इसकी मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार का आयोजन किया जा सका तथा विभिन्न सेवाओं में नियुक्ति हो सकी। इसी तरह, नियमावली में त्रुटि के कारण ही स्वास्थ्य विभाग के अधीन पारा मेडिकल कर्मियों की नियुक्ति पांच साल में भी नहीं हो सकी। वर्ष 2015 में ही इन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करते हुए आवेदन मंगाए गए थे, लेकिन नियमावली में त्रुटि होने के कारण यह रद हो गई थी।

इधर, राज्य के अपग्रेडेड हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति के लिए नियमावली बनाने में लगभग चार साल लग गए थे। किसी तरह नियमावली बनी भी तो नियुक्ति प्रक्रिया दो साल तक झारखंड लोक सेवा आयोग में लटकी रही। दो साल बाद यह परीक्षा ही रद हो गई। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने जेपीएससी को सितंबर 2016 में ही प्रधानाध्यापकों के 668 पदों पर नियुक्ति की अनुशंसा भेजी थी। आयोग ने जुलाई 2017 में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करते हुए आवेदन मंगाए, लेकिन दो साल तक नियुक्ति परीक्षा नहीं हो सकी। अंत में जेपीएससी ने पिछले साल तीन अक्टूबर को अपरिहार्य कारण बताते हुए इस परीक्षा को रद कर दिया।

राज्य में पहले से ही बड़ी संख्या में रिक्त हैं शिक्षकों के पद

अधिसूचित 13 जिलों में हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति रद होने से इन स्कूलों में आठ हजार शिक्षकों के पद तुरंत रिक्त हो जाएंगे। इसका असर पठन-पाठन पर भी पड़ेगा। राज्य में शिक्षकों के बड़ी संख्या में पहले से ही पद रिक्त हैं। हाई स्कूलों में ही विषय शिक्षकों के 3,064 पद रिक्त हैं।

वहीं, 1,336 अपग्रेडेड हाई स्कूलों में एक में भी प्रधानाध्यापक नहीं है। हाई स्कूलों में भी प्रधानाध्यापकों के 1,559 पद रिक्त हैं। इसी तरह, प्लस टू स्कूलों में भी प्रधानाध्यापकों के 661 पद रिक्त हैं। दूसरी तरफ, मिडिल स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के कुल 3126 पद स्वीकृत हैं, लेकिन कार्यरत महज 160 हैं। 2,966 पद रिक्त हैं।

ये नियुक्तियां होंगी प्रभावित

-संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा-एएनएम नियुक्ति परीक्षा

-पंचायत सचिव परीक्षा

-रेडियो ऑपरेटर नियुक्ति परीक्षा

जो नियुक्तियां हो चुकी हैं

-दारोगा नियुक्ति, वन आरक्षी नियुक्त, एक्साइज इंस्पेक्टर और हाई स्कूल शिक्षक।


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