Eco Tourism in Jharkhand: झारखंड में इको टूरिज्म को बढ़ावा, 1000 वर्ग किलोमीटर वन और 64 वर्ग किमी बढ़ा जलाशयों का क्षेत्रफल
Eco Tourism in Jharkhand मुख्य सचिव डीके तिवारी ने कहा कि दलमा चांडिल और डिमना लेक को इको टूरिज्म जोन बनाया जाएगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। Eco Tourism in Jharkhand झारखंड सरकार के वन विभाग ने दावा किया है कि 2001 से 2017 के बीच झारखंड का वन क्षेत्र एक हजार वर्ग किलोमीटर तथा 2005 से 2017 के बीच वन क्षेत्र में जलाशयों का क्षेत्रफल 64 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है। वन क्षेत्र के विकास की यह रफ्तार पूरे देश में उच्चतम है। कुल पौधारोपण का 20 फीसद फलदार पौधे लगाए जा रहे हैं। 92 नर्सरियों में प्रति वर्ष 92 लाख पौधे उगाए जा रहे हैं। गुरुवार को यह दावा वन विभाग की ओर से अपर मुख्य सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी ने मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी के समक्ष पेश किया। मुख्य सचिव वन विभाग की योजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे।
मुख्य सचिव ने इस दौरान वन एवं पर्यावरण विभाग को राज्य में इको टूरिज्म को बढ़ावा देनेवाली योजनाओं पर विशेष फोकस करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड के प्रचूर प्राकृतिक धरोहर को इको टूरिज्म साइट के रूप में विकसित कर राज्य को देश का अग्रणी राज्यों की सूची में शुमार किया जा सकता है। उन्होंने इसे केंद्र में रखकर वन विभाग को दलमा, चांडिल और डिमना लेक का त्रिकोण बनाकर उसे इको टूरिज्म के राष्ट्रीय स्तर का नेटवर्क बनाने का निर्देश दिया। साथ ही वन संपदा की सेटेलाइट (जीआइसी) मैपिंग कराने को कहा। उन्होंने कहा कि इस मैपिंग से वन क्षेत्र के जलाशय सहित पेड़ों की भी वास्तविक स्थिति का आकलन संभव हो पाएगा।
फलदार पौधे लगाने तथा राजधानी को हरा-भरा बनाने के लिए अलग गजट
मुख्य सचिव ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अधिक से अधिक फलदार पौधे लगाने पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए अलग से बजटीय प्लान की नसीहत दी। इसी तरह उन्होंने राजधानी की सभी सड़कों, सार्वजनिक भवनों के परिसर, स्कूलों, जलाशयों, पहाडिय़ों आदि के इर्द-गिर्द योजनाबद्ध ढंग से पौधारोपण कर उसे ग्रीन राजधानी के रूप में विकसित करने को कहा। उन्होंने अगले वर्ष के प्लान में राजधानी में पर्यावरण तथा ग्रीनरी के संवद्र्धन के लिए अलग से प्रावधान करने का भी निर्देश दिया।
अफसरों को सौंपा उपभोक्ता जागरूकता पर फोकस करने का टास्क
मुख्य सचिव ने गुरुवार को ही खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग की भी समीक्षा की। उन्होंने इस दौरान उपभोक्ता जागरूकता पर विशेष फोकस करने का टास्क अफसरों को सौंपा। इस बाबत उन्होंने बड़े-बड़े हाट-बाजारों में होर्डिंग लगाकर उपभोक्ताओं को उनके अधिकार की जानकारी देने का निर्देश दिया। होर्डिंग में उन्होंने एक फोन नंबर भी दर्ज करने की सलाह दी, ताकि कोई भी उपभोक्ता असंतुष्ट होने पर इसकी ससमय सूचना विभाग तक पहुंचा सके। सही माप-तौल पर भी ध्यान देने का सुझाव उन्होंने दिया।