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बिजली में 34वें पायदान पर झारखंड, मिली 'सी' ग्रेड रैंकिंग

बिजली वितरण में झारखंड राष्ट्रीय स्तर पर 34वें पायदान पर आया है। राज्य को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी छठे इंटीग्रेटेड रेटिंग में 'सी' ग्रेड रैंकिंग मिली है।

By Edited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 06:27 AM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 03:17 PM (IST)
बिजली में 34वें पायदान पर झारखंड, मिली 'सी' ग्रेड रैंकिंग
बिजली में 34वें पायदान पर झारखंड, मिली 'सी' ग्रेड रैंकिंग

प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में बिजली वितरण के क्षेत्र में हाल के वर्षों में आशातीत सुधार हुआ है। राज्य विद्युत बोर्ड का विघटन होने के बाद बिजली वितरण के लिए स्वतंत्र कंपनी कार्यरत है। इन सुधारात्मक प्रयासों और तमाम कवायद के बावजूद बिजली वितरण में झारखंड राष्ट्रीय स्तर पर 34वें पायदान पर आया है। राज्य को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी छठे इंटीग्रेटेड रेटिंग में 'सी' ग्रेड रैंकिंग मिली है। यानी 100 अंकों की रेटिंग में झारखंड के खाते में महज 20 मा‌र्क्स आए हैं। इस सबसे निचले ग्रेड को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय बहुत निम्न संचालन और वित्तीय क्षमता वाली वितरण एजेंसियों की श्रेणी में रखता है।

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पूर्वी भारत में कार्यरत बिजली वितरण एजेंसियों में झारखंड बिजली वितरण निगम चौथे पायदान पर है। इससे पहले असम और बिहार की वितरण एजेंसियों को शुमार किया गया है। रेटिंग में देशभर के 22 राज्यों की 41 वितरण कंपनियों (डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटज) को शुमार किया गया है। इसमें शीर्ष पर गुजरात की बिजली वितरण एजेंसियां शामिल हैं। पड़ोसी बिहार को 'बी' ग्रेड रैंकिंग मिली है। 2012 में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राज्य वितरण एजेंसियों को हर वर्ष रेटिंग देने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसमें वितरण कंपनी के संचालन, वित्तीय स्थिति, नियामक (रेगुलेटरी) और सुधार (रिफार्म) को मानक बना रेटिंग की जाती है।

बढ़ा है काम, तीन साल में आई तेजी

बिजली के क्षेत्र में बीते तीन साल में काम काफी तेजी से आगे बढ़ा है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कामकाज संभालने के बाद तीन जनवरी 2015 को पहला रिव्यू किया था। दरअसल बिजली के जर्जर पोल और तार सबसे बड़ी समस्या थी। आधा प्रदेश अंधेरे में था। सरकार की कवायद से बिजली हर गांव तक पहुंची। हर घर को रोशन करने का लक्ष्य इस वर्ष पूरा करना है। अंडरग्राउंड केबलिंग का काम भी जोरों पर चल रहा है। एक वरीय अधिकारी के मुताबिक, आशा की जानी चाहिए कि अगले साल से बिजली में झारखंड की रैंकिंग बढ़ेगी और दो साल में झारखंड शीर्ष राज्यों के समकक्ष भी खड़ा हो सकता है।

पिछड़ने की वजह भी जानिए
 -वित्तीय वर्ष 2017 में संचरण-वितरण घाटा रहा 34.73 प्रतिशत। इसमें मामूली सुधार हुआ है। फिलहाल यह 32.48 प्रतिशत है।
-उपभोक्ताओं को बिलिंग करने में फिसड्डी। महज 75.2 प्रतिशत उपभोक्ताओं को बिलिंग।
-सबसे ज्यादा रेट पर झारखंड बिजली खरीदता है। दर है 4.66 रुपए प्रति यूनिट। फिलहाल इसमें हल्की गिरावट। दर प्रति यूनिट बिजली खरीद का 4.50 रुपए।
-कम दर पर बिजली देते हैं। फिलहाल सरकार ने सब्सिडी के लिए रिसोर्स गैप फंडिंग की व्यवस्था जारी रखी है।

बेहतरी के लिए क्या करना होगा? 
-संचरण-वितरण घाटा कम करना होगा। खासकर सर्किलों पर फोकस करना होगा, जिसका घाटा बहुत ज्यादा है। -विभिन्न प्रशासनिक और तकनीकी उपायों से बिलिंग की क्षमता बढ़ानी होगी।
-समय पर ऑडिटेड एकाउंट के साथ-साथ टैरिफ पीटिशन।
-बिजली खरीद की दर को कम से कम करना।
-बिजली दर का घाटा पाटने के लिए टैरिफ में सुविधानुसार बढ़ोतरी।
-केंद्र की उदय योजना का प्रभावी तरीके से पालन सुनिश्चित करें।

अभी रिपोर्ट नहीं मिली है। इसका अध्ययन करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।
- डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी, सचिव, ऊर्जा विभाग। 


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