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झारखंड के गांवों में चल रहीं 82 योजनाएं... किसानों की नहीं बदल रही आर्थिक स्थिति... समझिए, क्या कह रहे केस स्टडी

Jharkhand News झारखंड सरकार और केंद्र सरकार की ओर से कृषि व किसानों के लिए राज्य में 82 योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन इन योजनाओं का लाभ यहां के किसानों को ठीक तरह से नहीं मिल पा रहा है। कई केस स्टडी इस बात का खुलासा करते हैं।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 10:46 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 10:48 AM (IST)
झारखंड के गांवों में चल रहीं 82 योजनाएं... किसानों की नहीं बदल रही आर्थिक स्थिति... समझिए, क्या कह रहे केस स्टडी
Jharkhand News: झारखंड के गांवों में चल रहीं 82 योजनाएं... किसानों की नहीं बदल रही आर्थिक स्थिति...

रांची, राज्य ब्यूरो। किसानों के लिए संचालित योजनाओं और उनकी जमीनी उपलब्धि के बीच का गैप बड़ा है। किसानों के लिए योजनाओं की भरमार है फिर भी गांव खुशहाल नहीं है। सरकार गांव, गरीब और वास्तविक किसान तक पहुंची जरूर है लेकिन उसकी पहुंच सीमित है। जाहिर है, कहीं न कहीं सरकारी कोशिशों में सिस्टम की खामियां बाधक बन रहीं हैं। हाल ऐसा ही रहा तो किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के जिन उद्देश्यों को लेकर केंद्र व राज्य सरकार आगे बढ़ रही है वे कभी पूरे नहीं होंगे। यहां यह भी बता दें कि राज्य में किसानों के हितों के लिए राज्य व केंद्र सरकार की 82 योजनाएं संचालित हैं। फिर भी किसानों को उनका सौ प्रतिशत लाभ नहीं मिल रहा है। कृषि विभाग इस बात से उत्साहित है कि पिछले वित्तीय वर्ष के बजट की करीब 80 प्रतिशत राशि व्यय करने में वह कामयाब रहा लेकिन हकीकत में कृषि विभाग की योजनाओं का कितना लाभ किसानों को मिला यह जमीनी स्तर पर पड़ताल करने पर दिख जाता है। ऐसा नहीं है कि सरकार में बैठे लोगों को कमियां-खामियों की जानकारी नहीं है। विभागीय स्तर पर आयोजित समीक्षा बैठकों में तमाम कमियां उजागर होती है, उस पर मंथन भी होता है और सुधार का टास्क भी सौंपा जाता है लेकिन फिर भी सिस्टम अपनी ही रफ्तार से काम कर रहा है।

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कोल्ड स्टोरेज की कुछ ऐसी है जमीनी हकीकत

बोकारो में वर्तमान एक भी सरकारी कोल्ड स्टोरेज नहीं है। सभी नौ प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज बनाने की योजना है। कुछ स्थानों पर टेंडर हो गया है तो कुछ स्थानों पर नहीं हुआ है। बिस्कोमान का कोल्ड स्टोरेज अविभाजित बिहार के समय में बन रहा था, राज्य बंटने के बाद अधूरा रह गया सो अब तक ऐसा ही है। हां, यहां तीन निजी कोल्ड स्टोरेज जरूर है। कोल्ड स्टोरेज की पूरे राज्य की तस्वीर बोकारो से कुछ जुदा नहीं है। राज्य के सभी 24 जिलों के लिए 5000 टन क्षमता के 25 बड़े कोल्ड स्टोरेज वर्षों से स्वीकृत हैं लेकिन उपलब्धि स्वीकृति, एलाटमेंट और कुछ स्थानों पर निर्माण शुरू होने तक सीमित है। छोटे कोल्ड रूम की बात करें तो 30 टन क्षमता के 139 कोल्ड रूम स्वीकृत है, 75 के पूरे होने का दावा किया जा रहा है, जबकि 64 पर काम शुरू नहीं हुआ है। पांच टन क्षमता के बहुत छोटे कोल्ड रूम 57 स्वीकृत हुए लेकिन पूरे महज 12 ही हुए।

मुख्यमंत्री पशुधन योजना पर शुरू हुई अच्छी पहल

झारखंड में मुख्यमंत्री पशुधन योजना पर अच्छी पहल हुई है। इसकी उपलब्धियों को भी कुछ हद तक संतोषजनक मना जा सकता है। कृषि, कल्याण व ग्रामीण विकास के कन्वर्जन से संचालित इस योजना के तहत पशुपालन की करीब 80 प्रतिशत, डेयरी के 70 और अन्य की उपलब्धि 50 प्रतिशत के दायरे में रही।

सिंचाई पर गंभीरता से काम नहीं

कृषि के लिए सिंचाई संसाधन विकसित करने की वैसे तो सीधी जवाबदेही जल संसाधन विभाग की है लेकिन कृषि विभाग के माध्यम से भी कुछ योजनाओं को संचालित किया जाता है। तालाब जीर्णोद्धार और डीब बोरिंग की जमीनी हकीकत यह है कि गत वर्ष के लिए स्वीकृत 1262 तालाबों में से 686 पर काम पूरा हुआ जबकि डीब बोरिंग से जुड़ी कुल 3729 योजनाओं में से 1038 ही पूरी हुईं।

केंद्र व राज्य सरकार की योजनाएं

  • निदेशालय -- राज्य -- केंद्र -- कुल
  • कृषि -- 15 -- 5 -- 20
  • बागवानी -- 3 -- 2 -- 5
  • भूमि संरक्षण -- 2 -- 2 -- 4
  • डेयरी -- 7 -- 2 -- 4
  • पशुपालन -- 13 -- 10 -- 23
  • मत्स्य -- 11 -- 3 -- 14
  • सहकारिता -- 6 -- 0 -- 6
  • कुल -- 57 -- 25 -- 82

केस स्टडी-1

झारखंड में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या 29.38 लाख है। इन किसानों के खाते में पीएम किसान की राशि सीधे भारत सरकार के स्तर से भेजी जाती है। इसकी तुलना में किसान क्रेडिट कार्ड महज 17.75 लाख किसानों के पास ही है। यह आंकड़ा पीएम किसान सम्मान निधि के सापेक्ष 66 प्रतिशत पर ठहराता है। इसमें यदि बैंकों के स्तर पर लंबित 6.61 आवेदनाें को भी जोड़ दें तो भी पीएम किसान के आंकड़े तक पहुंचने का सफर अभी लंबा दिखता है। सीधे शब्दों में समझे तो केंद्र सरकार, राज्य के करीब तीस लाख किसानों तक पहुंच गई और राज्य सरकार के समेकित प्रयास तमाम कोशिशों के बाद भी परिणाम नहीं दे पा रहे हैं।

केस स्टडी- 2

किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए वर्ष 2020-21 में दो हजार करोड़ रुपये का बजटीय प्रविधान किया गया। खर्च करीब एक हजार करोड़ के दायरे में रहा। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1200 करोड़ रुपये इस मद में रखे गए खर्च 530 करोड़ के करीब हुआ। इस तरह पिछले दो वितीय वर्षों में कुल 3200 करोड़ के बजटीय प्रविधान के सापेक्ष उपलब्धि 1530 करोड़ के करीब रही। लक्ष्य के सापेक्ष यहां भी उपलब्धि 50 प्रतिशत के भीतर ही है

केस स्टडी- 3

किसानों को आधुनिक कृषि से जोड़ने के लिए कृषि यांत्रिकीकरण प्रोत्साहन योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष 72 करोड़ का प्रविधान किया गया। पूरे वर्ष राशि की निकासी ही नहीं हो सकी। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन 31 मार्च को इस राशि की निकासी हुई। राशि खाते में पड़ी है, व्यय अब तक नहीं हुआ है। पंचायत चुनाव के बाद पिछले वर्ष की योजना को धरातल पर उतारा जाएगा।


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