Budget 2020: कृषि सुधार के लिए 16 सूत्रीय फार्मूले से झारखंड को विशेष आस
Jharkhand. कृषि व संबद्ध क्षेत्र के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया गया है। कृषि विशेषज्ञों ने बजट को सराहा कहा- क्रियान्वयन पर जोर हो।
रांची, राज्य ब्यूरो। बजट के केंद्र में गांव व किसान है। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय दोगुनी करने के लिए 16 सूत्री फार्मूला पर अमल की बात कई गई है। इस फार्मूले से झारखंड जैसे छोटे राज्यों को खासी आस है। बजट में छोटे किसानों के लिए खास प्रावधान किए भी गए हैं। हालांकि, केंद्रीय बजट से कितना अंश किस मद में राज्य को मिलेगा इस पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही बजट का राज्य के परिपेक्ष्य में आकलन किया जा सकता है। बजट में पीएम कुसुम स्कीम के जरिए किसानों के पंप को सोलर पंप से जोड़ा जाएगा।
इसके दायरे में 20 लाख किसानों आएंगे। इन 20 लाख किसानों में झारखंड के कितने होंगे यह भी देखना होगा। कृषि विशेषज्ञ आरपी सिंह रतन कहते हैं कि इसका लाभ झारखंड के हजार किसानों को भी मिल जाए तो बहुत है। हालांकि वे बजट में किसानों की आय बढ़ाने को लेकर किए गए प्रावधानों को अच्छा बताते हैं। कहते हैं कि यह बजट झारखंड के छोटे व सीमांत किसानों के लिए बेहतर है। किसानों के उत्पाद की बिक्री तक की व्यवस्था की गई है।
आरपी सिंह रतन कहते हैं कि झारखंड जैसे छोटे राज्यों के लिए विशेष तौर पर कुछ योजनाएं बनाई जानी चाहिए थीं। राज्य में छोटे किसानों की औसत आय महज दो हजार रुपये प्रति माह है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि कृषि राज्य से जुड़ा विषय अधिक है। राज्य में कोल्ड स्टोरेज और वेयर हाउस की स्थिति भी अच्छी नहीं है, बजट में उसके लिए जो प्रावधान किए गए हैं उन्हें सराहा जाना चाहिए। बजट में उर्वरता बढ़ाने पर फोकस करने की बात कही गई है।
रासायनिक खादों का संतुलित इस्तेमाल होगा और जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा। बीएयू बिजनेस डेवलपमेंट प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. एस जायसवाल ऐसी स्कीमों को अच्छा बताते हैं बशर्ते स्कीम का वास्तविक लाभ किसानों को मिले। डॉ. जायसवाल कहते हैं कि आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के लिए पूर्व में तीस हजार रुपये प्रति एकड़ का प्रावधान किया गया था लेकिन किसानों को मिलने वाला हिस्सा कंपनियां हड़प गईं। छोटे व सीमांत किसानों के लिए ऐसी शर्त रखी गई कि उन्हें योजना का वास्तविक लाभ ही नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि बजट में किसानों की कैपेसिटी बिल्डिंग पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए।
मत्स्य निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
बजट में ब्लू इकोनॉमी के जरिए मछली पालन को बढ़ावा देेने की बात कही गई है। इसका लाभ झारखंड को भी मिलेगा। झारखंड मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है। गत वित्तीय वर्ष मत्स्य उत्पादन 2.08 लाख एमटी था, इस वित्तीय वर्ष के लिए 2.25 एमटी रखा गया है। मत्स्य निदेशक एनएन द्विवेदी कहते हैं मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए बजट में जो कदम उठाए गए हैं, उसका निश्चित रूप से झारखंड को लाभ मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजित होंगे और पलायन रुकेगा। झारखंड मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है, अब हम तेजी से निर्यात के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे।