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Ex CM बाबूलाल मरांडी को समय का फेर...जानें सत्ता के गलियारे का हाल Ranchi News

विधानसभा चुनाव के लिए सत्‍ताधारी दल भाजपा तो अपनी तैयारियों को परवान चढ़ाने में शिद्दत से जुटी है। लेकिन दूसरे राजनीतिक दलों को कोई पता-ठिकाना नहीं चल रहा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 09:59 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 09:59 AM (IST)
Ex CM बाबूलाल मरांडी को समय का फेर...जानें सत्ता के गलियारे का हाल Ranchi News
Ex CM बाबूलाल मरांडी को समय का फेर...जानें सत्ता के गलियारे का हाल Ranchi News

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। नवंबर-दिसंबर में संभावित झारखंड विधानसभा चुनाव में अब‍ गिनती के दिन बाकी बचे हैं। सत्‍ताधारी दल भाजपा तो अपनी तैयारियों को परवान चढ़ाने में शिद्दत से जुटी है। लेकिन, दूसरे राजनीतिक दलों को कोई पता-ठिकाना नहीं चल रहा। विपक्षी दल जहां लोकसभा चुनाव की करारी हार को परे रखकर एक बार फिर से महागठबंधन बनाने की राह पर हैं, वहीं कांग्रेस, झामुमो, राजद और झाविमो में अंदरखाने विरोध के सुर बुलंद हो रहे हैं। आइए जानते हैं झारखंड की सत्‍ता के गलियारे का हाल...

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समय का फेर
कभी झारखंड की राजनीति घूमती थी बाबूलाल के आसपास। नया राज्य बना झारखंड तो महारथियों को दरकिनार कर कमान दिया गया हाथ में, लेकिन सत्ता की डोर फिसल गई इनके हाथ से। वह दिन है और आज का दिन, किस्मत से कुर्सी इतनी रूठी है कि अपने एक-एक कर भाग रहे हैं। बड़े अरमान से बनाया था अपना दल, लेकिन जिन्हें अंगुली पकड़ राजनीति सिखाई, वही अब इन्हें बात-बात पर ताने मारते हैं। इनका मिजाज कुछ ऐसा है कि सारे वार सह लेते हैं मुस्करा कर। लेकिन अब अकेले चलना इनके बूते की बात नहीं रही। कांग्रेस ने तो खुला आफर दे दिया है कि विलय कर दें झारखंड विकास मोर्चा का। कहते हैं कि अगस्त में बाबूलाल इस बाबत ठोस फैसला ले सकते हैं। बेचारा बनने से अच्छा है कि बाबूलाल को हाथ का सहारा मिल जाएगा और हाथ का इनका। क्या पता, दोनों मिलकर चमत्कार कर दें झारखंड की राजनीति में।

तिकड़ी की अदावत
सत्ता का जुनून जब सिर चढ़कर बोलता है तो क्या अपने, क्या पराए। अब कमल दल की किचकिच को ही ले लें। पार्टी के तीन फायर ब्रांड नेता, आपस में उलझ गए हैं। सभी को शहरी विकास की धुन चढ़ी है। माननीय को नसीहतों का पुलिंदा सौंप दिया। राय जी की राय भी इसमें शामिल हो गई। सीपी बाबू कभी इधर, तो कभी उधर बगले झांक रहे हैं। नगर की सफाई हो न हो, अपनों को सफाई देनी पड़ रही है। सत्ता के गलियारे में चर्चा है, सब दिल्ली के पानी का असर है। अब कमल दल वाले भी पछता रहे हैं कि भेजा क्यूं दिल्ली। मौके बेमौके राज्य के मुख्य सेवक को भी महेश बाबू सलाह देने से नहीं चूकते।

समिट का दौर
झारखंड में इन दिनों समिट का दौर चल रहा है। सरकार के विभिन्न विभाग इसमें होड़ लगाए हुए हैं। उद्योग के बाद उच्च शिक्षा, कृषि पशुपालन के अफसर इसमें पहले ही आगे निकल गए। अब आइटी और दवा-दारू वाले विभागों के अफसर इसमें लगे हुए हैं। कार्यक्रम भी तय हो गए हैं। प्रचार-प्रसार भी शुरू हो गया है। बेस्ट प्रैक्टिसेज से लेकर इन्वेस्टमेंट की बात हो रही है। अब देखना है कि इसका कितना लाभ राज्य के नागरिक को मिल पाता है या फिर...?


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