विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया को बता रहा झारखंड माडल की सफल कहानी, आप भी जानें
Jharkhand Epidemic Eradication Jharkhand Hindi News झारखंड स्वास्थ्य विभाग की तत्कालीन सचिव निधि खरे की रणनीति से राज्य ने एक महीने में डेंगू-चिकनगुनिया पर नियंत्रण पा लिया था। आठ विभाग और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर यह काम किया था।
रांची, राज्य ब्यूरो। डेंगू और चिकनगुनिया दिल्ली और दूसरे महानगरों में हर साल मासूमों की जान लेता है, लेकिन झारखंड ने इस बीमारी पर महज कुछ दिनों में लगाम लगा दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के रणनीतिकारों के बीच इन दिनों झारखंड माडल की चर्चा हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में डेंगू पर विस्तार से लिखा है। इसे डब्ल्यूएचओ ने अपने जर्नल में सक्सेस स्टोरी के रूप में प्रकाशित किया है। इसके माध्यम से बताने की कोशिश हो रही है कि अगर सरकारी अमला मुस्तैदी से काम करे तो बड़ी से बड़ी बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
वाकया वर्ष 2018 का है, जब राजधानी रांची में अचानक डेंगू ने कहर बरपाना शुरू किया था। इस पर तत्काल प्रयास कर काबू पा लिया गया। जिस झारखंड माडल की तारीफ हो रही है, उसकी रणनीतिकार स्वास्थ्य विभाग की तत्कालीन प्रधान सचिव निधि खरे थीं। डेंगू का आउटब्रेक होते ही उन्होंने फौरन धरातल पर काम करना शुरू कर दिया था। इसका बेहतरीन नतीजा देखने को मिला और महज कुछ दिनों में बीमारी के महामारी बनने पर ब्रेक लगा दिया गया।
बेहतर समन्वय से मिली जीत
आपदा के समय बहुत बार सरकारी विभाग एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगते हैं, जिसका नुकसान आम आदमी को होता है। झारखंड में कई महत्वपूर्ण विभागों की प्रधान सचिव रह चुकी निधि खरे इस बात को बेहतर ढंग से जानती थीं। इसलिए डेंगू का मामला सामने आने के बाद उन्होंने बगैर समय गंवाए काम शुरू कर दिया। स्वास्थ्य विभाग के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को पूरे राज्य में अलर्ट पर रखा गया। बेहतर जांच व्यवस्था बनाई। रिम्स सहित सभी प्रमुख अस्पतालों को जांच रिपोर्ट जल्दी देने और सही उपचार के लिए ब्लूप्रिंट दिया गया।
उन्होंने नगर विकास विभाग से समन्वय स्थापित किया और स्थानीय निकायों और सभी जिलों के डीसी को एडवाइजरी जारी कर जरूरी कदम उठाने के लिए कहा। उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, कृषि एवं पशुपालन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, नगर विकास, सूचना एवं जनसंपर्क, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता, पथ निर्माण तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित किया। राज्य में शायद यह पहली बार था कि इतने विभागों को एक साथ जोड़कर अभियान चलाया गया।
जनप्रतिनिधियों को भी अभियान से जोड़ा
बीमारी पर नियंत्रण के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जोड़ा गया और व्यापक जागरण अभियान शुरू किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने वार्ड स्तर के जनप्रतिनिधि को इससे जोड़ा, जो स्थानीय लोगों से ज्यादा संपर्क में रहते हैं। इसके कारण और निदान दोनों बताने में वे मददगार साबित हुए। स्वास्थ्य विभाग के जिलास्तरीय अधिकारियों को इनके साथ मिलकर काम करने के लिए कहा गया। इनसे मिले इनपुट पर प्रभावित क्षेत्रों में टीम भेजकर ब्लड सैंपल लेने की व्यवस्था की गई। इससे बीमार लोगों को समय पर इलाज मिल पाया। इससे बीमारी का फैलाव रुक गया।