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गिरिडीह मेयर को पद से हटाने की अनुशंसा, JMM ने जाति प्रमाण पत्र को दी थी चुनौती

Jharkhand. झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टचार्य की ओर से सुनील कुमार के जाति प्रमाण पत्र को राज्य चुनाव आयोग में चुनौती दी गई थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 06:35 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 08:17 PM (IST)
गिरिडीह मेयर को पद से हटाने की अनुशंसा, JMM ने जाति प्रमाण पत्र को दी थी चुनौती
गिरिडीह मेयर को पद से हटाने की अनुशंसा, JMM ने जाति प्रमाण पत्र को दी थी चुनौती

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। राज्य निर्वाचन आयोग ने गिरिडीह के मेयर सुनील कुमार पासवान को पद से हटाए जाने की अनुशंसा राज्य सरकार से की है। दरअसल, सुनील कुमार पासवान के जाति प्रमाण पत्र को यह कहते हुए राज्य निर्वाचन आयोग में चुनौती दी गई थी कि वर्ष 2019 में कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने उनके जाति प्रमाण पत्र को रद कर दिया था। इसका हवाला देते हुए कहा गया था कि सुनील कुमार पासवान मेयर पद के योग्य नहीं है और उनका चुनाव रद होना चाहिए।

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इस संबंध में जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टïाचार्य ने जनवरी 2020 में निर्वाचन आयोग के यहां आवेदन दिया था। आयोग में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कास्ट स्क्रूटनी कमेटी द्वारा अगर किसी का जाति प्रमाणपत्र रद किया जाता है तो बिना किसी सूचना के ही उसे पूर्व में मिलने वाले सारे लाभ वापस ले लिए जाएंगे।

इस कमेटी का आदेश अंतिम होता है और इसे सिर्फ हाई कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है। सुनील कुमार पासवान बिहार के रहने वाले हैं, इसलिए झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं ले सकते हैं। उनका निर्वाचन रद कर देना चाहिए। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने गिरिडीह के मेयर को पद से हटाने की अनुशंसा राज्य सरकार से की है। बता दें कि गिरिडीह के मेयर का पद आरक्षित है। वर्ष 2018 में हुए चुनाव में सुनील कुमार पासवान ने जीत दर्ज की थी।

पहले हटाने का था अधिकार

अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल ने बताया कि झारखंड म्यूनिसिपल एक्ट 2001 की धारा 18 (2) में राज्य निर्वाचन आयोग को यह अधिकार प्राप्त था कि निगम के चुनाव में किसी प्रकार की अनियमितता की शिकायत पर आयोग किसी भी जनप्रतिनिधि को सीधे हटा सकता था। वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने इस एक्ट में बदलाव करते हुए निर्वाचन आयोग के इस अधिकार को समाप्त करते हुए इसका अधिकार राज्य सरकार को दे दिया।


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