झारखंड के दिव्यांगों से धोखा, पांच के बदले दे रहे तीन फीसद आरक्षण
अधिकतर संस्थान आज भी 24 साल पुराने निश्शक्त व्यक्ति (समान अवसर अधिकार सुरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम-1995 के तहत दोनों ही श्रेणियों में तीन फीसद ही आरक्षण दे रहे हैं।
रांची, [विनोद श्रीवास्तव]। झारखंड के दिव्यांगों को न तो सरकारी सेवाओं और न ही उच्च शैक्षणिक संस्थानों में निर्धारित मानकों के अनुरूप आरक्षण मिल रहा है। राज्य में अप्रैल 2018 से प्रभावी निश्शक्त व्यक्ति (दिव्यांगजन) अधिकार अधिनियम 2016 के तहत संबंधित श्रेणियों में क्रमश: चार और पांच फीसद आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
- कार्मिक विभाग ने जारी किया आदेश, आरक्षण के नए प्रावधान पर सख्ती
- चार और पांच की जगह तीन फीसद आरक्षण ही मिल रहा दिव्यांगों को
इससे इतर अधिकतर संस्थान आज भी 24 साल पुराने निश्शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सुरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम-1995 के तहत दोनों ही श्रेणियों में तीन फीसद ही आरक्षण दे रहे हैं। महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के पास पहुंच रही ऐसी कई शिकायतों को सरकार ने गंभीरता से लिया है। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने इस संबंध में सभी विभागों के सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त और उपायुक्तों को पत्र भेजा है। पत्र में 2016 के प्रावधानों के अनुरूप ही दिव्यांगों को आरक्षण देने पर जोर दिया गया है।
पहले दिव्यांगों की तीन श्रेणियों में था तीन फीसद आरक्षण का प्रावधान
1995 के अधिनियम में दिव्यांगों को तीन श्रेणियों में बांटकर आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। अंधापन/कम दृष्टि, बहरापन/श्रवण अशक्तता तथा शारीरिक अशक्तता/ सेरेब्रल पाल्सी की अलग-अलग श्रेणी के लिए एक-एक फीसद आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। 2016 में इसकी पांच श्रेणी कर दी गई है। इसमें अंधापन और कम दृष्टि, बहरापन और श्रवण निश्शक्तता, चलन निश्शक्तता (सेरेब्रल पाल्सी, कुष्ठ रोग, बौनापन, तेजाब पीडि़त, मांसपेशीय दुर्विकास), बौद्धिक निश्शक्तता (सीखने की विशेष अक्षमता एवं मानसिक रोग समेत) तथा बहु निश्शक्तता शामिल है। इन पांचों ही श्रेणी के दिव्यांगों के लिए एक-एक फीसद आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
4.48 लाख का निबंधन, अब थैलेसीमिया और हीमोफिलिया भी दायरे में
राज्य में 4.48 लाख दिव्यांग निबंधित हैं। 2016 से पूर्व दिव्यांगों को सात श्रेणी में बांटकर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता था। 2016 में हुए संशोधन के बाद अब इसमें 14 और श्रेणियां जुड़ गई हैं। हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, तेजाब पीडि़त आदि को भी दिव्यांगों के दायरे में लाया गया है।
अब एक ही छत के नीचे दिव्यांगों को कई सुविधाएं
केंद्र ने दिव्यांगों के लिए राज्य में कंपोजिट रिसोर्स सेंटर खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कटक, ओडिशा की संस्था स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनर्वास, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान इसी वित्तीय वर्ष से इसका संचालन करेगी। जल्द ही केंद्र और राज्य सरकार के बीच इस मसौदे पर हस्ताक्षर होगा। 35 कमरों वाले इस रिसोर्स सेंटर में जहां दिव्यांगों के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था रहेगी, वहीं वहां कृत्रिम अंगों का भी निर्माण भी होगा। उन्हें यहां दिव्यांगता का प्रमाणपत्र भी मिलेगा, टेड़े-मेढ़े पांव-हाथ की सर्जरी भी होगी।
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