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झारखंड के डीजीपी एमवी राव बोले- सिर्फ पुलिस के बूते नहीं है बच्चियों की सुरक्षा

डीजीपी ने कहा कि हाल में प्रदेश के विभिन्न इलाकों में घटित बच्चियों-नाबालिगों से दुष्कर्म व हत्या की घटनाओं से मन व्यथित है। घटना के बाद पुलिस निष्पक्ष होकर पूरी संवेदनशीलता से मामले की जांच कर रही है। सभी कांडों में 95 फीसद अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 07:35 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 07:35 PM (IST)
झारखंड के डीजीपी एमवी राव बोले- सिर्फ पुलिस के बूते नहीं है बच्चियों की सुरक्षा
डीजीपी एमवी राव बोले- सिर्फ पुलिस के बूते नहीं है बच्चियों की सुरक्षा। जागरण

रांची (राज्य ब्यूरो) । पुलिस मुख्यालय में डीजीपी एमवी राव ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में बच्चियों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहा कि बच्चियों की सुरक्षा सिर्फ पुलिस के बूते की बात नहीं है। इसके लिए परिवार व समाज को भी आगे आना होगा। हाल के दिनों में प्रदेश में घटित दरिंदगी की घटनाओं पर डीजीपी चिंतित नजर आए और अब तक हुई पुलिस की कार्रवाई पर संतोष भी जताया। यह भी कहा कि पर्यटन स्थलों के आसपास गश्त तेज की जाएगी। डीजीपी ने कहा कि हाल में प्रदेश के विभिन्न इलाकों में घटित बच्चियों-नाबालिगों से दुष्कर्म व हत्या की घटनाओं से मन व्यथित है।

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घटना के बाद पुलिस निष्पक्ष होकर पूरी संवेदनशीलता से मामले की जांच कर रही है। सभी कांडों में 95 फीसद अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं। उन्हें स्पीडी ट्रायल से कठोर सजा दिलाने की कोशिश होगी। छानबीन में इस बात की जानकारी मिली है कि अधिकांश मामले में अभियुक्त भुक्तभोगी के जान-पहचान का था, यूं कहें तो पुरुष मित्र था। अब सवाल उठता है कि इस तरह की घटनाओं को रोका कैसे जाए। पुलिस की लंबी नौकरी में यह देखा कि चोरी, डकैती, तस्करी, दंगा, लूट, नक्सल आदि घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस के पास अपना तंत्र है, लेकिन बच्चियों से होने वाले अपराध, दुष्कर्म के उपाय नजर नहीं आते। इसके लिए दूसरे देशों का भी अध्ययन किया गया, नतीजा शून्य निकला। इस विशेष अपराध को रोकने की व्यवस्था कहीं नहीं है।

बच्चियों के संरक्षण के लिए सबसे पहले मां-पिता, समाज, बड़े बुजुर्ग, शिक्षक आते हैं। पुलिस की भूमिका बाद में आती है। बच्ची की गतिविधि की जानकारी रखना, उसे संस्कार देना प्रत्येक परिवार व समाज का कार्य है। लड़कों के मामले में भी परिवार व समाज अलर्ट रहे, ताकि वह अपराध की ओर कदम नहीं बढ़ाए। इसके लिए पुलिस अभिभावकों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने जा रही है। आठवीं से ऊपर बच्चों को वेबिनार या अन्य माध्यमों से बचाव के जानकारी दी जाएगी। इसमें पुलिस के अलावा एनजीओ की भी मदद ली जाएगी। गांव-मुहल्लों में जागरूकता कैंप लगाया जाएगा। लोगों को समझाया जाएगा कि नाबालिगों को अकेले घर में या बाहर नहीं छोड़ें। उनपर नजर रखें और परेशानी सुनें। बच्चों को जिस तरह आग-पानी से बचना समझाते हैं, उसी प्रकार यह भी समझाएं कि सोशल मीडिया से जुड़ने से बचें। बच्चों की सुरक्षा का दायित्व अभिभावक का है।

सभी जिलों के एसपी बच्चियों की सुरक्षा के लिए आज जारी करेंगे एक वाट्सएप नंबर

डीजीपी एमवी राव ने कहा कि बुधवार को सभी जिलों के एसपी एक वाट्सएप नंबर जारी करेंगे। इस नंबर पर थोड़ा भी असहज महसूस करने पर महिलाएं, बच्चियां, नाबालिग मैसेज भेजकर मदद ले सकती हैं। मैसेज मिलने के तत्काल बाद एक डीएसपी व महिला अधिकारी उस बच्ची-महिला की सुरक्षा, उससे कानूनी मदद पहुंचाने पहुंच जाएंगे।

पुलिस का तनाव कम करने पर चल रहा विचार

इन दिनों पुलिसकर्मियों के तनाव की जानकारी मिल रही है। खुदकुशी के मामले भी सामने आ चुके हैं। इसके लिए विचार किया जा रहा है कि पुलिसकर्मियों के मनोरंजन व मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या कदम उठाया जा सकता है। बैरक, पुलिस केंद्र में कोई पुलिसकर्मी तनाव में रहता है, तो उसके साथी इसकी सूचना तत्काल वरीय पदाधिकारी को दें ताकि वह वरीय पदाधिकारी उस पुलिसकर्मी व उसके परिवार से बातचीत कर हल ढूढ़ सके।

चार प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी रोकेंगे साइबर अपराध

डीजीपी के अनुसार राज्य में साइबर अपराध एक बड़ी समस्या है। इसके लिए चार प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारियों को लगाया गया है। साइबर अपराध की मुख्य वजह सिमकार्ड है। बंगाल से सिमकार्ड लेकर झारखंड में साइबर अपराध करने वालों की संख्या देखते हुए बंगाल पुलिस से समन्वय बैठाकर ऐसे अपराधियों की खोज जारी है। छह माह में साइबर अपराध मिटा देंगे।

त्योहारों में सुरक्षा पर विशेष जोर

डीजीपी ने कहा कि अभी त्योहारों का मौसम है। ऐसी स्थिति में चोरी, पॉकेटमारी, डकैती, लूट की घटनाएं होंगी, जिन्हें रोकने का प्लान तैयार किया गया है। इसी उद्देश्य से सभी जिलों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग किया गया है। नक्सली कमजोर हुए हैं, उनमें फूट पड़ गई है। ग्रामीण भी उन्हें सहयोग नहीं कर रहे। बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध शराब, अवैध हथियार आदि के खिलाफ अभियान तेज किया गया है, इसका बेहतर परिणाम मिल रहा है। राज्य में गुटखा के खिलाफ अभियान तेज होगा। गोवंश की तस्करी को रोकने के लिए आम नागरिक भी गुप्त सूचना दें, उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी।


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