यहां स्वच्छंद हैं खूंखार अपराधी, कभी भी हो सकते हैं फरार; इनकी निगरानी भगवान भरोसे
Jharkhand Coronavirus News. रांची के डोरंडा रिसालदार बाबा और खेलगांव कोविड-19 सेंटर में छह अपराधी साधारण मरीजों की तरह रखे गए हैं। रांची में लातेहार जैसी घटना हो सकती है।
रांची, [फहीम अख्तर]। रांची के कोविड-19 सेंटरों में लातेहार के राजहर स्थित कोविड-19 सेंटर जैसी घटना का खुलेआम आमंत्रण दिया जा रहा है। इन सेंटरों में खूंखार अपराधियों को ठीक उसी तरह रखा गया है, जैसे सामान्य कोरोना संक्रमित मरीजों को रखा गया है। इस व्यवस्था को ठेंगा दिखाकर कभी भी खूंखार अपराधी ठीक उसी तरह फरार हो सकते हैं जैसे लातेहार में भाजपा नेता जयवर्धन सिंह की हत्या के मुख्य आरोपित कोविड-19 सेंटर से फरार हो गया है।
डोरंडा स्थित कोविड-19 सेंटर में इस प्रकरण का संकेत मिल चुका है। सोमवार को एक मानसिक रूप से कमजोर सीआरपीएफ का जवान चाकू चमका कर फरार हो गया था। उसे पकड़ने के लिए पूरे दिन पुलिस परेशान रही थी। काफी मशक्कत के बाद उसे पकड़ा जा सका था। जानकारी के अनुसार रांची के खेल गांव स्थित कोविड-19 सेंटर और डोरंडा कोविड-19 सेंटर में छह अपराधियों को रखा गया है। इनमें कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा गैंग और अमन साव गैंग के अपराधी को डोरंडा कोविड-19 में रखा गया है।
डोरंडा स्थित कोविड-19 सेंटर की सुरक्षा व्यवस्था पर गौर किया जाए तो कई छेद नजर आएंगे। कोविड-19 सेंटर में न सीसीटीवी कैमरा लगा है ना वहां के पुलिसकर्मी पीपीई किट पहनकर तैनात रहते हैं। ऐसे में कोई अपराधी भागना चाहे तो पुलिसकर्मी सीधे हाथ से उन्हें पकड़ने के लिए भी पीछे नहीं भाग पाएंगे। जब तक कोई पुलिसकर्मी पीपीई किट पहनेगा, तब तक अपराधी भाग चुका होगा। यह व्यवस्था अपराधियों के लिए खुले तौर पर भागने का रास्ता है। यही हाल खेलगांव स्थित कोविड-19 सेंटर का है।
पीपीई किट है मगर नहीं पहन कर तैनात रहते पुलिसकर्मी
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 सेंटर में पर्याप्त पीपीई किट मुहैया कराया गया है। जिसे पुलिस कर्मियों को और स्वास्थ्य कर्मियों को पहनना है। हालांकि सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो पुलिसकर्मी जब तक पीपीई किट पहनेंगे तब तक अपराधी वहां से फरार हो चुका होगा। ऐसे में पीपी कीट की कोई उपयोगिता नजर नहीं आ रही है।
सात फिट बाउंड्री, आराम से कूद सकते हैं अपराधी
बाबा रिसालदार कोविड-19 सेंटर की बाउंड्री सही सुरक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है लॉन्ड्री की ऊंचाई करीब सात फीट है उस बाउंड्री में ना कोई कांटेदार तार का घेरा है ना काटी है और ना ही कांच लगाया गया है इससे कोई भी अपराधी आसानी से तड़प कर भाग सकता है।
तंबू में बैठे नजर आए पुलिसकर्मी
डोरंडा कोविड-19 सेंटर में दो गेट है एक सामने का प्रवेश द्वार एक पीछे भी गेट है। दैनिक जागरण की टीम बुधवार को दोपहर करीब 1:00 बजे बायना करने पहुंची तो दोनों मुख्य द्वार पर कोई पुलिसकर्मी अलर्ट मोड में नजर नहीं आया। पीछे वाली गेट पर बने तंबू में चार पांच पुलिसकर्मी बैठे दिखे। मुख्य द्वार से अंदर वाली गेट का चैनल गेट खुला था वहां भी कोई पुलिसकर्मी नजर नहीं आया। सुरक्षा का यही हाल रहा तो आसानी से वहां इलाज करा रहे हैं खूंखार कैदी फरार हो सकते हैं या उनके गैंग के अपराधी फरार करवा सकते हैं।
लाइव मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं
डोरंडा रिसालदार बाबा कोविड-19 सेंटर में लाइव मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। सीसीटीवी कैमरा भी लगी नजर नहीं आए। सीसीटीवी कैमरा होता तो अन्य अधिकारी भी निगरानी कर सकते थे। तमाम सुरक्षा में छेद के बावजूद अपराधियों को बेपरवाह ढंग से आइसोलेशन सेंटर में रखा गया है।
अलग व्यवस्था करने की जरूरत
झारखंड पुलिस एसोसिएशन जवानों के साथ खड़ा नज़र आ रहा है। उनका कहना है कि कोरोना के संक्रमण काल मे जिस तरह संसाधनों के आभाव में पुलिसकर्मी कार्य कर रहे है वो सराहनीय है। पुलिस एसोसिएशन के महामंत्री अक्षय राम ने कहा है कि जो भी अपराधी कोरोना से संक्रमित है उनके इलाज के लिए अलग से व्यवस्था की जाए ताकि उनपर नज़र रखने के लिए पुलिसकर्मी को कम परेशानी का सामना करना पड़े।
'कोविड-19 सेंटरों में अपराधियों को रखा जा रहा है और उन पर कड़ी निगरानी भी है। कोई कमी होगी तो इसे दुरुस्त कर लिया जाएगा। पुलिसकर्मियों को पीपीई किट भी दिया गया है।' -सौरभ, सिटी एसपी रांची।