अब कांग्रेस ने मांगी राज्यसभा सीट... बाबूलाल ने किया चौंकाने वाला खुलासा
Hemant Soren Bad Trapped झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय ने कहा है कि पिछली बार हमने झामुमो को दिया था मौका इस बार हमें मौका मिलना चाहिए। जिस सीट पर कांग्रेस दावेदारी कर रही है वह भाजपा के दो सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने की वजह से खाली हो रहा।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्यसभा चुनाव में अभी भले ही देरी हो, सत्तारूढ़ गठबंधन ने इसपर हाथ-पैर पटकना शुरू कर दिया है। सीट को लेकर अभी से अपनी-अपनी दावेदारी शुरू हो गई है। भाजपा के दो राज्यसभा सदस्यों महेश पोद्दार और मुख्तार अब्बास नकवी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस इस सीट पर अपना पहला हक मान रही है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी अविनाश पांडेय ने दावा किया है कि पिछली बार कांग्रेस ने झामुमो के लिए सीट छोड़ी थी और इस बार एक सीट कांग्रेस को मिलनी चाहिए। कांग्रेस प्रभारी ने कहा इस मुद्दे पर दोनों दल आपस में बैठकर तय करेंगे और आपसी सहमति से ही उम्मीदवार का चयन किया जाएगा।
बाबूलाल का दावा, बाहरी व्यक्ति ने सीएम से मांगी राज्यसभा सीट
उधर, राज्यसभा चुनाव की आधिकारिक अधिसूचना जारी होने के पहले ही संभावित प्रत्याशियों को लेकर दावेदारी आरंभ हो गई है। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को दावा किया कि एक बाहरी व्यक्ति ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्यसभा की सीट की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया- चर्चा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भ्रष्टाचार से उत्पन्न संकट से कुछ दिनों तक जीवनदान दिलाने की कानूनी सहायता के बदले एक बाहरी नामी व्यक्ति ने राज्यसभा सीट की मांग कर दी है।
बालू की कालाबाजारी को लेकर हेमंत सोरेन पर साधा निशाना
बाबूलाल मरांडी ने बालू की किल्लत और कालाबाजारी को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब राज्य के मुखिया और उनका परिवार ही नदियों के बालू पर कुंडली मारे बैठा हो तो बालू के दाम तो आसमान छुएंगे ही। झारखंड में बालू के संगठित लूट के कारण आज स्मार्ट सिटी का काम अधर पर लटका है। कंपनियों और ठेकेदारों ने लूट के माल को ऊंचे दाम पर खरीदने से इन्कार कर दिया है। राज्य सरकार अपने अधिकारियों के माध्यम से बालू की खुली लूट की छूट दे रखी है। आज लोगों को न घर बनाने के लिए बालू मिल रहा है न पुल-पुलियों के निर्माण के लिए। मैंने सदन में इसपर कई बार आवाज़ उठाई है। सरकार ने 15 दिनों में टेंडर करने की बात कही लेकिन सब ढांक के तीन पात। चोरी, बेईमानी व झारखंड के गरीबों की जल, जंगल जमीन,पत्थर, बालू लूट कर बेहिसाब दौलत इकट्ठा करने वाले का स्याह चेहरा जब भी उजागर होता है तो ये लोग खुद को आदिवासी बताने का ढ़ाल इस्तेमाल करने लगते हैं।