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Jharkhand Assembly Election 2019: आदिवासी चेहरे पर दांव लगा एक तीर से कई शिकार करना चाहती है कांग्रेस

झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो चुकी है। इसके अलावा अलग-अलग तबके से पांच कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 08:38 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 02:59 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: आदिवासी चेहरे पर दांव लगा एक तीर से कई शिकार करना चाहती है कांग्रेस
Jharkhand Assembly Election 2019: आदिवासी चेहरे पर दांव लगा एक तीर से कई शिकार करना चाहती है कांग्रेस

रांची, [प्रदीप सिंह]। झारखंड में हाशिये पर चल रही कांग्र्रेस को सोमवार को नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में लोहरदगा के पूर्व सांसद रामेश्वर उरांव मिले। यह महज संयोग है कि उरांव भी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे हैं और भारी दबाव के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा सौंपने वाले डाॅ. अजय कुमार भी इसी सेवा से राजनीति में आए। लंबी खींचतान के बाद आखिरकार आलाकमान ने सूझबूझ दिखाते हुए एक बार फिर आदिवासी चेहरे पर दांव लगाया है।

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यह सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा खींचतान अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीटों पर ही होगी। भाजपा की नजर भी इन 28 सीटों पर है जबकि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की नजर भी इसपर टिकी है। जाहिर है, इन सुरक्षित सीटों पर कब्जे के लिए आदिवासी मतदाताओं को लुभाना होगा। कांग्रेस ने इससे पूर्व भी अध्यक्ष पद के लिए सबसे ज्यादा आदिवासी नेताओं पर ही भरोसा जताया है। रामेश्वर उरांव दो दफा लोहरदगा से सांसद चुने गए हैं।

वे केंद्र में मंत्री समेत अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे हैं। उनके विस्तृत अनुभव का लाभ जहां संगठन को मिलेगा वहीं सिपहसालारों में उन्हें अलग-अलग तबके के युवा चेहरे बतौर कार्यकारी अध्यक्ष मिले हैं जो चुनाव में जातीय गोलबंदी के लिहाज से कारगर साबित हो सकते हैं। एक मायने में कांग्रेस आलाकमान ने नई नियुक्तियों में एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है। देखना यह होगा कि यह बदलाव कितना कारगर होता है और इससे गुटों में बंटे कांग्रेसी कितना एकजुट हो पाते हैं?

राहुल गांधी खुद रहे शामिल

झारखंड प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की प्रक्रिया लंबी चली। इसकी वजह पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी रहे। राहुल गांधी खुद झारखंड में रुचि ले रहे हैं। इसकी वजह लोकसभा चुनाव के दौरान मिली सफलता को भी माना जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में झारखंड में कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया था। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी एक सीट जीतने में कामयाब रही और दो सीटों पर कड़े मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा।

यही वजह है कि राहुल गांधी झारखंड में कांग्रेस के लिए बेहतर संभावनाएं तलाश रहे हैं। नेतृत्व के मसले पर उन्होंने घोषणाएं कई स्तर पर विमर्श के बाद की। इस दौरान वे लगातार वरीय नेताओं से बातचीत करते रहे। झारखंड प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने भी इसमें महती भूमिका निभाई।


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